राजभवन में हुआ ‘भोजपुरिया कैलेंडर’ का भव्य लोकार्पण

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अंजान जी, पटना, 5 अप्रैल: आज पटना के ऐतिहासिक राजभवन स्थित दरबार हॉल में एक सांस्कृतिक क्षण को जीवंत करते हुए ‘भोजपुरिया कैलेंडर’ का भव्य लोकार्पण हुआ। इस विशेष कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने अपने कर-कमलों से किया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई, उसके बाद दीप प्रज्वलन के साथ राज्यपाल ने विधिवत रूप से कैलेंडर का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर कैलेंडर के निर्माता एवं विश्व रिकॉर्ड होल्डर चित्रकार संजीव सिन्हा, समाजसेवी धीरज कुशवाहा, संभावना आवासीय उच्च विद्यालय, आरा के निदेशक डॉ. कुमार द्विजेन्द्र, प्राचार्या डॉ. अर्चना कुमारी, और भोजपुरी भाषा, कला तथा साहित्य के कई सशक्त प्रतिनिधि उपस्थित थे।

राज्यपाल हुए भावुक

कैलेंडर का अवलोकन करते हुए माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “यह केवल भोजपुरी का नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है।” उन्होंने भारत की प्राचीन सभ्यता, शक संवत, वेदों की वैज्ञानिकता, और पंचांग की विशिष्टता पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने इस कैलेंडर को एक सांस्कृतिक दस्तावेज़ बताते हुए कहा कि यह हमारी विविधताओं को सम्मान देने का एक शानदार प्रयास है।

सम्मान और सांस्कृतिक समर्पण

इस अवसर पर राज्यपाल श्री खान को अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया, साथ ही चित्रकार संजीव सिन्हा ने उन्हें भोजपुरिया पेंटिंग से युक्त विशेष अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, भोजपुरी पेंटिंग और भोजपुरी की किताब ‘लबेद’ तथा ‘गीतन के फुलवारी’ का तोहफा दिया। समाजसेवी धीरज कुशवाहा को भी भोजपुरिया अंगवस्त्र, सम्मान पत्र और ब्रोच से सम्मानित किया गया।

कवि निलय उपाध्याय ने जताया गर्व

कवि और साहित्यकार निलय उपाध्याय ने भोजपुरी कैलेंडर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “भोजपुर क्षेत्र वह भूमि है जिसने दुनिया को 1-9 अंक दिए। मुझे गर्व है कि आज कैथी और भोजपुरी का जनक क्षेत्र इस कैलेंडर के माध्यम से एक नए विमर्श का हिस्सा बन रहा है।”

कैलेंडर की विशेषताएं:

  • पारंपरिक भोजपुरी पंचांग आधारित महीनों का समावेश (चैत, बैसाख आदि)
  • शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष की जानकारी
  • विलुप्त होती कैथी लिपि का प्रयोग
  • हर पृष्ठ पर भोजपुरी पेंटिंग की छवियां
  • संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में नई पीढ़ी के लिए प्रेरक
  • सांस्कृतिक पहचान और अस्मिता को पुनर्जीवित करने का दस्तावेज़

कैलेंडर के निर्माता संजीव सिन्हा:

संजीव सिन्हा, भोजपुरी लोकसंस्कृति के एक सशक्त प्रहरी, केवल एक चित्रकार ही नहीं, बल्कि एक आंदोलन के जनक हैं। उन्होंने 2002 में कोहबर चित्रों के जरिए पहचान बनाई और उसके बाद भोजपुरी लोक कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। 2011 में उन्होंने सर्जना न्यास की स्थापना की और अब तक 2000 से अधिक लोगों को भोजपुरी कला की शिक्षा दी।

सर्जना न्यास और भोजपुरी कला के प्रचारक:

संजीव सिन्हा ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि यह कैलेंडर केवल तिथियों का संग्रह नहीं, बल्कि भोजपुरी सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि सर्जना न्यास जल्द ही कम्युनिटी रेडियो और भोजपुरी कला अनुसंधान संस्थान की स्थापना की दिशा में काम कर रहा है।

समारोह का संचालन संभावना विद्यालय की प्राचार्या डॉ. अर्चना कुमारी ने किया, जबकि कार्यक्रम का कोऑर्डिनेशन रंगकर्मी, निर्देशक और पत्रकार ओ पी पांडेय ने किया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें धीरज कुशवाहा, बृजम पांडेय, रविंद्र भारती, संजीव सिन्हा, ओ. पी. पांडेय, विष्णु शंकर, डॉ. कुमार द्विजेन्द्र, डॉ. अर्चना सिंह, दीपा श्रीवास्तव, चंद्रभूषण पांडेय, निलय उपाध्याय और अन्य लोग शामिल थे।


संतोष श्रीवास्तव “अंजान जी”
मुख्य संपादक सह प्रकाशक
WhatsApp : +91 9934324365

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