बिहार बना दवा आपूर्ति में देश का अग्रणी राज्य, 20 वर्षों में 10 गुना बढ़ी आपूर्ति

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पटना, 15 अप्रैल, 2025 – एक समय था जब बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं अपनी बदहाली के लिए कुख्यात थीं, अस्पतालों में पशु बंधे होने और बेडों पर कुत्तों के सोने जैसी तस्वीरें आम थीं। लेकिन पिछले दो दशकों में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था ने अभूतपूर्व परिवर्तन देखा है। वर्ष 2005 के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी पहल ने स्वास्थ्य सुधार की एक नई दिशा तय की, जिसकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है मुफ्त दवा नीति। इस नीति के तहत बिहार आज देश में सर्वाधिक 611 प्रकार की दवाइयां मरीजों को मुफ्त उपलब्ध कराने वाला राज्य बन गया है। इस सूची में कैंसर और हृदय रोग से लेकर वायरल संक्रमण तक की सभी महत्वपूर्ण श्रेणियों की दवाएं शामिल हैं। पिछले 20 वर्षों में सरकारी अस्पतालों से दवा आपूर्ति में आश्चर्यजनक रूप से 10 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है।

दवा आपूर्ति और वितरण में 10 गुना वृद्धि:

राज्य सरकार ने मुफ्त दवा नीति के तहत पिछले पांच वर्षों में दवा आपूर्ति और वितरण पर अपने खर्च को 10 गुना तक बढ़ाया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह खर्च लगभग 762 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025-26 में इसके 1100 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। यह गुणात्मक सुधार स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वर्ष 2005 से पहले जहां अस्पतालों में दवाएं मुश्किल से मिलती थीं, वहीं अब जीवनरक्षक दवाएं आसानी से उपलब्ध हैं, जिससे गरीब मरीजों को अब अपनी जेब ढीली नहीं करनी पड़ती।

डीवीडीएमएस पोर्टल पर बिहार शीर्ष पर:

केंद्र सरकार के ड्रग्स एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम (डीवीडीएमएस) पोर्टल के अनुसार, बिहार लगातार पांचवें महीने दवा आपूर्ति और वितरण के क्षेत्र में देश में पहले स्थान पर कायम है। यह उपलब्धि राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुधार के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

मुफ्त दवा नीति की शुरुआत और विस्तार:

इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत 1 जुलाई 2006 को हुई, जब कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य में मुफ्त दवा वितरण की नींव रखी गई।

  • वर्ष 2006: केवल 47 प्रकार की औषधियां उपलब्ध थीं।
  • वर्ष 2008: ओपीडी मरीजों के लिए 33 प्रकार और आईपीडी मरीजों के लिए 112 प्रकार की दवाइयां सूचीबद्ध की गईं।
  • वर्ष 2023: इस सूची में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और 611 प्रकार की दवाइयां तथा 132 प्रकार के डिवाइसेज/कंज्यूमेबल्स शामिल किए गए।

हर मरीज को मिल रही जरूरी दवाएं:

बिहार सरकार की यह नीति यह सुनिश्चित करती है कि अस्पताल आने वाले प्रत्येक मरीज को उसकी आवश्यकतानुसार दवाएं उपलब्ध हों। इनमें जीवन रक्षक दवाओं के साथ-साथ कैंसर, गठिया, अस्थमा, एलर्जी, रक्त के थक्के और एंटी-एलर्जिक जैसी महत्वपूर्ण दवाएं भी शामिल हैं।

गरीबों को मिली बड़ी राहत:

एक समय था जब मरीजों को जरूरी दवाओं के लिए निजी मेडिकल स्टोरों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब यह स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। इस मुफ्त दवा नीति से गरीब तबके के लोगों को भारी राहत मिली है और अब दवा की कमी के कारण किसी मरीज की जान नहीं जाती। इसके अतिरिक्त, महंगी दवाओं पर निजी खर्च का बोझ भी कम हुआ है, जिससे आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला वित्तीय दबाव काफी हद तक कम हुआ है और स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच बेहतर हुई है।


Santosh Srivastava “Anjaan Jee”

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