अंजान जी: बोकारो के रंगकर्मियों ने एकजुट होकर एक नया और महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसका उद्देश्य बोकारो में रंगमंच को पुनः जीवित करना है। रंगमंच, जो एक समय में शहर की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हुआ करता था, पिछले कुछ वर्षों में अपनी पहचान खो चुका था। लेकिन अब बोकारो के रंगकर्मियों ने मिलकर इसे पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया है। इस प्रयास का पहला कदम रविवार को कृष्णपुरी, चास में हुई बैठक में उठाया गया, जहां ‘बोकारो रंगमंच’ नामक एक नाट्य संस्था की स्थापना की गई।
‘बोकारो रंगमंच’ का मुख्य उद्देश्य रंगमंच को फिर से जीवित करना, नए कलाकारों को मंचीय कला में प्रशिक्षित करना और शहर में रंगकर्म को बढ़ावा देना है। इस संस्था का मानना है कि रंगमंच न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह समाज की संवेदनाओं, समस्याओं और विचारों को व्यक्त करने का एक प्रभावशाली माध्यम है।
बैठक के दौरान वरिष्ठ रंगकर्मी पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’ ने कहा कि बोकारो में रंगमंच की परंपरा धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। उनका मानना है कि इसे पुनः स्थापित करने के लिए सभी रंगकर्मियों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस पहल के माध्यम से न केवल पुराने रंगकर्मियों को एक मंच मिलेगा, बल्कि नए कलाकारों को भी रंगमंच की बारीकियों को समझने और सीखने का अवसर मिलेगा।
राजेश कुमार सिंह ने युवाओं से अपील की कि वे थिएटर से जुड़ें और इस कला के प्रति अपनी रुचि और प्रेम को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि आजकल के युवाओं में कई प्रतिभाएं हैं, लेकिन उन्हें सही मंच और मार्गदर्शन की आवश्यकता है। उन्होंने ‘बोकारो रंगमंच’ को उस मार्गदर्शक के रूप में देखा, जो इन प्रतिभाओं को सही दिशा में प्रोत्साहित करेगा।
फिल्मकार नवल कपूर ने रंगमंच को अभिनय की आत्मा बताया और इसे सिनेमा और टेलीविजन से भी अधिक प्रभावशाली माध्यम बताया। उनका मानना था कि रंगमंच पर अभिनय करना न केवल एक कलाकार के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, बल्कि यह उसे आत्म-संवेदनशीलता, अनुशासन और मंच पर अपने व्यक्तित्व को व्यक्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।
अरुण कुमार सिंह ने क्लासिक नाटकों की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि वे दर्शकों को एक नई दृष्टि प्रदान करते हैं। उनका मानना था कि पुराने नाटकों को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने से थिएटर में एक नई जान फूंकी जा सकती है और दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया जा सकता है।
अभिनेत्री शीला विश्वास ने महिलाओं को रंगमंच में भाग लेने के लिए प्रेरित किया और कहा कि थिएटर एक ऐसा क्षेत्र है, जहां महिला कलाकारों को समान अवसर मिलते हैं। उन्होंने महिला कलाकारों से आग्रह किया कि वे अपनी कला को निखारें और इस क्षेत्र में आगे बढ़ें।
इस बैठक में तय किया गया कि ‘बोकारो रंगमंच’ को एक मजबूत और सशक्त मंच बनाने के लिए सभी रंगकर्मियों को एक साथ लाया जाएगा। इस पहल के तहत, चार अप्रैल को अगली बैठक गोपिंडु भवन, कृष्णपुरी, चास में आयोजित की जाएगी, जहां रंगकर्मियों को एकजुट करने और आगामी कार्यक्रमों की योजना बनाई जाएगी। इस बैठक में अधिक से अधिक रंगकर्मियों की भागीदारी की अपील की गई है।
‘बोकारो रंगमंच’ का लक्ष्य यह है कि शहर के रंगकर्मी अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करें, नए कलाकारों को अवसर दें और रंगमंच को फिर से समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलवाएं। इस प्रयास से न केवल बोकारो में रंगमंच को नया जीवन मिलेगा, बल्कि यह अन्य शहरों और क्षेत्रों के रंगकर्मियों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा।