रांची, झारखंड – 30 जनवरी 2025 – गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) अब झारखंड तक फैल चुका है। रांची के बालपन हॉस्पिटल में एक पांच साल की बच्ची में इस दुर्लभ और गंभीर बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। बच्ची हाल ही में मुंबई के कुर्ला से रांची लौटी थी, जहां गिलियन-बैरे सिंड्रोम के कई मामले सामने आ चुके हैं।
एसीएमओ (सहायक मुख्य चिकित्सा अधिकारी) की अगुवाई में एक मेडिकल टीम ने बच्ची की जांच की और उसके सैंपल पुणे भेजे हैं। बच्ची के यात्रा इतिहास को ध्यान में रखते हुए यह संदेह जताया गया है कि महाराष्ट्र में फैले इस सिंड्रोम से इसका संबंध हो सकता है।
गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के लक्षण:
GBS एक दुर्लभ तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिका तंतुओं पर हमला करती है। इसके लक्षण बच्चों में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सामान्यत: इनमें शामिल हैं:
- उंगलियों और पैरों में संवेदनहीनता
- हाथ-पैरों में दर्द और कमजोरी
- चलने में कठिनाई
- चिड़चिड़ापन या मूड में बदलाव
- सांस लेने या निगलने में दिक्कत
- चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी
GBS से बचाव के उपाय:
डॉ. राजेश ने बताया कि गिलियन-बैरे सिंड्रोम से बचाव के लिए कुछ सरल उपायों का पालन किया जा सकता है। इन उपायों में शामिल हैं:
- उबला हुआ पानी या बोतलबंद पानी पीना
- खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोना
- मांस और मुर्गी को पूरी तरह पकाना
- कच्चे या अधपके भोजन, खासकर सलाद, अंडे, कबाब या समुद्री भोजन से बचना
- कच्चे और पके हुए खाद्य पदार्थों को अलग-अलग रखना
- रसोई की सतहों और बर्तनों को कीटाणुरहित करना
- सामान्य स्वच्छता उपायों का पालन, जैसे साबुन से बार-बार हाथ धोना, खासकर खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद
डॉ. राजेश ने कहा कि गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मामले में घबराने की जरूरत नहीं है। उचित एहतियात और जल्दी उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सभी नागरिकों से अपील की जाती है कि वे सामान्य स्वच्छता उपायों का पालन करें और किसी भी संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।