जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर किसी में हिम्मत हो तो कोई भी बाधा उसे आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती। हमारे समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने लिए एक नई राह बनाई है। उनकी प्रेरणा से यह साबित होता है कि कभी भी हार मानने की जगह नहीं है। ऐसे ही एक प्रेरणास्त्रोत हैं हसलेन अंसारी, जो जन्मजात दिव्यांग होने के बावजूद अपने सपनों की ओर बढ़ रहे हैं।
कटोरिया (बांका): कटोरिया नगर पंचायत के वार्ड नंबर 13 के निवासी 14 वर्षीय हसलेन अंसारी, जो दोनों हाथों से दिव्यांग हैं, ने कभी अपनी शारीरिक कमजोरी को अपनी दुर्बलता नहीं बनने दिया। हसलेन के हौसले को देखकर कई सामान्य लोग भी हैरान रह जाते हैं। उन्होंने अपनी दिव्यांगता को अपने आत्मविश्वास और मेहनत का जरिया बना लिया है।
हसलेन ने साबित कर दिया है कि दिव्यांगता कभी भी किसी के सपनों को पूरा करने में रुकावट नहीं बन सकती। वह न सिर्फ अपनी पढ़ाई में आगे हैं, बल्कि अपनी कठिनाईयों को पार करके पैरों से लिखने की कोशिश भी कर रहे हैं। उनकी लेखन क्षमता इतनी अद्भुत है कि कुछ लोग अपने हाथों से भी उतना साफ नहीं लिख पाते, जितना हसलेन अपने पैरों से लिखते हैं।
अपने कठिन परिश्रम और समर्पण के कारण, हसलेन ने अपनी मेट्रिक परीक्षा में 284 अंक प्राप्त किए और दूसरे श्रेणी से पास हुए। उनका सपना है कि वह एक शिक्षक बनें और समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा का प्रचार करें।
हसलेन की मां, मोमीना खातुन ने कहा, “हमारे परिवार की स्थिति बहुत कमजोर है। मेरे पति मजदूरी करते हैं और मुश्किल से घर चलता है। सरकार से हमें केवल 400 रुपये मिलते हैं, जो घर चलाने और बेटे की पढ़ाई के लिए पर्याप्त नहीं होते। अगर सरकार से हसलेन को कुछ मदद मिले, तो उनका शिक्षक बनने का सपना जरूर साकार हो सकता है।”
हसलेन का संघर्ष और उनकी मेहनत हमें यह सिखाती है कि अगर ठान लिया जाए, तो किसी भी हालात में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
दिलावर अंसारी