जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बिहार सरकार ने तैयार किया मास्टर प्लान

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पटना, 02 अप्रैल, 2025: बिहार सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक व्यापक मास्टर प्लान तैयार किया है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की विशेष पहल पर राज्य में हरित आवरण बढ़ाने के लिए एक कार्य योजना बनाई गई है। इसके तहत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री की इस पहल को साकार करने के लिए संबंधित विभागों ने विभिन्न योजनाओं को लागू करना शुरू कर दिया है।

  • राज्य सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वृहद मास्टर प्लान तैयार किया
  • जल संरक्षण और हरियाली बढ़ाने पर जोर, 2070 तक कार्बन-फ्री बिहार बनाने का लक्ष्य

जल-जीवन-हरियाली योजना और जलवायु रणनीति दस्तावेज

ग्रामीण विकास विभाग के तहत जल-जीवन-हरियाली योजना को प्रमुख रूप से चलाया जा रहा है, जिसके तहत जल संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, राज्य सरकार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक रणनीतिक दस्तावेज “क्लाइमेट रेसिलिएंट एंड लो-कार्बन डेवलपमेंट पाथ-वे” तैयार कर रही है। इस दस्तावेज में वर्ष 2030 और 2050 तक किए जाने वाले कार्यों की रूपरेखा तैयार की गई है, ताकि बिहार को वर्ष 2070 तक कार्बन-फ्री बनाया जा सके, बिना विकास कार्यों से समझौता किए।

राज्यस्तरीय एक्शन प्लान को मिली मंजूरी

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के बीच 2021 में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन किया गया था। तीन वर्षों की बैठकों और विचार-विमर्श के बाद, इस एक्शन प्लान को अंतिम रूप दे दिया गया है, जिसे अब राज्य कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

आर्द्रभूमि संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

बिहार में कुल 4,316 आर्द्रभूमियां (वेटलैंड) हैं, जिनका संरक्षण और प्रबंधन आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत किया जाता है। सरकार का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में कितनी जल निकायों को आर्द्रभूमि के रूप में चिह्नित किया जा सकता है।

भू-सत्यापन और आर्द्रभूमि संरक्षण

  • इसरो द्वारा तैयार किए गए नक्शों के आधार पर आर्द्रभूमि की पहचान की गई, और तीन महीने के भीतर यह कार्य 100% पूरा कर लिया गया।
  • आर्द्रभूमि के सीमांकन का कार्य सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में किया जा रहा है।
  • राज्य सरकार ने बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की स्थापना की है। 2020 और 2024 में दो आर्द्रभूमियों को रामसर साइट घोषित किया गया, जबकि तीन अन्य आर्द्रभूमियों – कटिहार का गोगबिल, बक्सर का गोकुल जलाशय और पश्चिमी चंपारण की उदयपुर झील को प्रस्तावित किया गया है।

बिहार सरकार मनरेगा के तहत जल निकायों के निर्माण को बढ़ावा दे रही है और कृषि विभाग पानी की खपत को कम करने के लिए मोटे अनाज, ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर तकनीक को बढ़ावा दे रही है। हालांकि, भूमिगत जल स्तर में लगातार गिरावट और कई जिलों में आर्सेनिक और अन्य प्रदूषण की समस्याएं बढ़ रही हैं, इसके समाधान के लिए सरकार कृषि वानिकी को बढ़ावा दे रही है। मुख्यमंत्री कृषि वानिकी योजना और मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना के तहत अधिक से अधिक पौधे लगाए जा रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन से निपटने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए बिहार सरकार का यह प्रयास राज्य की पारिस्थितिकी और जल सुरक्षा को मजबूत करेगा। आने वाले वर्षों में इन योजनाओं का सकारात्मक प्रभाव राज्य के पर्यावरण और जलवायु पर पड़ेगा, जिससे बिहार में स्थायी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।


संतोष श्रीवास्तव “अंजान जी”

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