नीरज दयाल | मुंबई – भारत के पहले ऑल-वुमन रेलवे स्टेशन के रूप में माटुंगा रेलवे स्टेशन ने एक ऐतिहासिक मील का पत्थर तय किया है। 2017 में सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर श्री डीके शर्मा द्वारा महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से शुरू की गई इस अनोखी पहल ने रेलवे क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति और योगदान को नई दिशा दी है।
माटुंगा स्टेशन, जो अब पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित होता है, में वर्तमान में कुल 41 महिलाएं विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। इन महिला कर्मचारियों द्वारा स्टेशन के सभी परिचालन और वाणिज्यिक कार्यों को पूरी जिम्मेदारी से संभाला जा रहा है। टिकट चेकिंग, सुरक्षा, सफाई, घोषणाएं, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के संचालन में ये महिलाएं उत्कृष्टता का उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं।
इस ऐतिहासिक परिवर्तन की मार्गदर्शिका ममता कुलकर्णी हैं, जिन्होंने 1992 में सेंट्रल रेलवे की पहली महिला असिस्टेंट स्टेशन मैनेजर बनने का गौरव प्राप्त किया था। आज, ममता कुलकर्णी माटुंगा स्टेशन की प्रबंधक के रूप में इस प्रयास को और भी आगे बढ़ा रही हैं। उनका नेतृत्व और समर्पण इस पहल को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
माटुंगा स्टेशन की यह पहल न केवल महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में एक प्रेरणादायक उदाहरण है, बल्कि यह साबित करता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं, चाहे वह रेलवे जैसा चुनौतीपूर्ण कार्यक्षेत्र हो। इस पहल ने माटुंगा स्टेशन को 2018 के लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
यह कदम न केवल महिलाओं के लिए समान अवसरों का द्वार खोलता है, बल्कि यह समाज में लिंग समानता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत संदेश भी भेजता है। रेलवे मंत्रालय और सेंट्रल रेलवे ने इस पहल को सफल बनाने के लिए सभी महिला कर्मचारियों का समर्थन और मार्गदर्शन जारी रखने का वादा किया है।
माटुंगा रेलवे स्टेशन का यह बदलाव न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में महिलाओं की भूमिका और उनकी शक्तियों को पहचानने का प्रतीक बन चुका है। यह दर्शाता है कि जब महिलाओं को समान अवसर मिलते हैं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना करने और उसे पार करने में सक्षम होती हैं।