नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री, बिहार के समीकरण बदलने की उम्मीद

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बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रमुख नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीति में कदम रखने की तैयारी शुरू कर दी है। JDU नेताओं का कहना है कि निशांत कुमार होली के बाद राजनीति में आधिकारिक रूप से सक्रिय हो सकते हैं। इस कदम से बिहार के राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना जताई जा रही है, खासकर तब जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने नीतीश कुमार को सीएम उम्मीदवार बनाने की योजना बनाई है।

जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी कार्यकर्ताओं की बढ़ती मांग को देखते हुए निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री तय मानी जा रही है। एक सूत्र ने बताया, “ऐसा प्रतीत होता है कि वह राजनीति में उतरने के लिए तैयार हैं, अब बस नीतीश कुमार से हरी झंडी मिलनी बाकी है।”

निशांत कुमार का जन्म 20 जुलाई 1975 को हुआ था और वे नीतीश कुमार और मंजू सिन्हा के एकमात्र बेटे हैं। 49 वर्षीय निशांत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT) मेसरा के पूर्व छात्र रहे हैं। वे अब तक अधिकांश राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनका नाम जेडीयू के अंदर चर्चा में आया है। 2015 में अपने पिता के शपथ ग्रहण समारोह में वे शामिल हुए थे, और तब से ही जेडीयू के वरिष्ठ नेता यह संकेत देते रहे हैं कि निशांत राजनीति में आ सकते हैं।

हालांकि, निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री को लेकर कुछ विरोध भी हो रहा है, खासकर तब जब उनके पिता ने कई बार वंशवाद की राजनीति की आलोचना की है। विपक्षी दलों ने इसे बिहार में वंशवाद की प्रवृत्ति का विस्तार करार दिया है। आरजेडी और कांग्रेस ने इस कदम को नीतीश कुमार की घटती लोकप्रियता का संकेत बताया है।

वहीं, जेडीयू और बीजेपी ने निशांत कुमार के पक्ष में अपनी प्रतिक्रिया दी है। जेडीयू के प्रदेश महासचिव प्रम हंस कुमार ने कहा, “यदि एक स्वच्छ छवि वाला नेता ईमानदारी से सेवा करना चाहता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।” बीजेपी ने भी नीतीश कुमार की कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि निशांत कुमार राज्य में उनके योगदान को और आगे बढ़ा सकते हैं।

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम हो सकती है, जो राज्य की राजनीति के नए दिशा-निर्देश तय कर सकती है।

– अंजान जी
मुख्य संपादक सह प्रकाशक

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