बिहार के प्रमुख समाजसेवी और पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान मिलने पर उनकी पत्नी अनिता कुणाल ने असंतोष व्यक्त किया। उनका कहना था कि यह सम्मान उनके महान कार्यों के अनुरूप नहीं है और उन्हें पद्मश्री से कहीं ज्यादा का हक था। अनिता ने कहा, “हम पद्मश्री से संतुष्ट नहीं हैं। यह उनके योगदान के मुकाबले बहुत कम है। वे पद्मश्री से कहीं ज्यादा के हकदार थे, उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए।”
सोनू श्रीवास्तव : बिहार के प्रमुख समाजसेवी और पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान मिलने पर उनकी पत्नी अनिता कुणाल ने असंतोष व्यक्त किया। हालांकि, आचार्य किशोर कुणाल की बहू और सांसद शांभवी चौधरी ने इस सम्मान को लेकर खुशी जताई। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। यह खुशी की बात है कि सिविल सेवा के क्षेत्र में उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री दिया जा रहा है। हम केंद्र सरकार के इस सम्मान के लिए आभारी हैं।”
आचार्य किशोर कुणाल के बेटे सायण कुणाल ने भी सरकार का धन्यवाद किया और कहा, “हम केंद्र सरकार का धन्यवाद करते हैं कि इतनी जल्दी उन्हें यह सम्मान दिया गया। हालांकि कोई भी पुरस्कार उनके योगदान के कद को न्यायपूर्ण तरीके से व्यक्त नहीं कर सकता। हम उनके लिए आगे और भी प्रयास करेंगे।”
नीतीश सरकार ने किया था पद्मविभूषण की मांग
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा गणतंत्र दिवस से पहले पद्म पुरस्कारों की घोषणा में आचार्य किशोर कुणाल का नाम पद्मश्री के लिए घोषित किया गया था। हालांकि, बिहार सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण देने की मांग की थी, जो उनकी पत्नी अनिता कुणाल के मुताबिक उनके योगदान के हिसाब से उचित होता।
किशोर कुणाल का निधन हुआ था 29 दिसंबर को
पूर्व आईपीएस अधिकारी और समाजसेवी किशोर कुणाल का 29 दिसंबर को निधन हो गया था। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और 74 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। किशोर कुणाल, जो अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य भी थे, ने सेवानिवृत्त होने के बाद समाज सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। महावीर कैंसर संस्थान और ज्ञान निकेतन विद्यालय जैसी पहलें उनकी विरासत का हिस्सा हैं। इसके अलावा, उन्होंने बिहार के कैमूर क्षेत्र में गुप्त काल के मुंडेश्वरी भवानी मंदिर के जीर्णोद्धार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।