पंचांग का उपयोग और महत्व
पंचांग मानव जाति मात्र के लिए अत्यंतहि उपयोगकी वास्तु है | पंचांग के आधार पर ठीक समय धार्मिक और व्यावहारिक सम्पूर्ण कार्य किये जाते हैं | पंचांग का मुख्या उद्देश कालमापन या कालगणन का हैं | धार्मिक व्रत उपवास, सामाजिक त्योहार के लिये और अन्य धार्मिक क्रित्यों के लिए पंचांग की ज़रूरत पड़ती है | हमारा जो कुछ आधार है सो पंचांग है |
पंचांग पढ़ने से जीवन के महत्वपूर्ण पलों को शुभ फलदायी बना सकते है |
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पंचांग 31/05/2024 • May 31, 2024
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अष्टमी, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), बैशाख | अष्टमी तिथि 09:38 AM तक उपरांत नवमी | नक्षत्र शतभिषा 06:14 AM तक उपरांत पूर्वभाद्रपदा 04:48 AM तक उपरांत उत्तरभाद्रपदा | विष्कुम्भ योग 06:04 PM तक, उसके बाद प्रीति योग | करण कौलव 09:38 AM तक, बाद तैतिल 08:32 PM तक, बाद गर |
मई 31 शुक्रवार को राहु 10:06 AM से 11:47 AM तक है | 11:10 PM तक चन्द्रमा कुंभ उपरांत मीन राशि पर संचार करेगा |