लोकसभा अध्यक्ष ने 85वीं AIPOC में पांच प्रस्तावों को मंजूरी

Spread the love

लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने आज 85वीं अखिल भारतीय प्रेसीडिंग ऑफिसर्स सम्मेलन (AIPOC) के उद्घाटन सत्र में महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी और संसद व राज्य विधायिकाओं के कार्यों को बेहतर बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विधायिकाओं में बाधा रहित और सुव्यवस्थित चर्चाओं की परंपरा को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

नई दिल्ली, 21 जनवरी 2025: श्री ओम बिड़ला ने 85वीं अखिल भारतीय प्रेसीडिंग ऑफिसर्स सम्मेलन (AIPOC) के उद्घाटन सत्र में महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी और संसद व राज्य विधायिकाओं के कार्यों को बेहतर बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए। श्री बिड़ला ने इस अवसर पर चिंता व्यक्त की कि बैठकों की संख्या में कमी आई है और यह सभी प्रेसीडिंग ऑफिसर्स का कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सदन में कोई विघटन न हो, चाहे राजनीतिक मतभेद हों या समझौते। उन्होंने कहा, “हमारे सदन को बेहतर वातावरण में कार्य करना चाहिए ताकि हम संविधानिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए सार्वजनिक सेवा और अच्छे शासन में अधिक प्रभावी ढंग से योगदान कर सकें।”

इस सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ने पांच महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी, जो देश की विधायिकाओं के कार्यों में सुधार और संविधान के प्रति सम्मान को बढ़ावा देंगे। ये प्रस्ताव इस प्रकार हैं:

  1. संविधान के संस्थापक पिताओं को श्रद्धांजलि
  2. संविधान के मूल्यों का सम्मान
  3. विधायी कार्यों में बाधा रहित और सुव्यवस्थित बहस का आदान-प्रदान
  4. संविधान के 75वें वर्ष की महोत्सव की योजना
  5. डिजिटल प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग

श्री बिड़ला ने इस अवसर पर यह भी कहा कि सभी विधायी निकायों को 2047 तक “विकसित भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने भारत की संसद को प्रौद्योगिकी के उपयोग में अग्रणी बताया और सभी विधायिकाओं से आह्वान किया कि वे संविधान के 75वें वर्षगांठ को स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी से मनाने के लिए पहल करें।

इसके अलावा, लोकसभा अध्यक्ष ने PRIDE (Parliamentary Research and Information, Digital and Education) कार्यक्रम के माध्यम से विधायी ड्राफ्टिंग और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के आयोजन की घोषणा की, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाने और विधायिकाओं के कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से होंगे।

श्री बिड़ला ने कहा, “हमारी विधायिकाएं संविधान के अनुशासन और उद्देश्य के साथ कार्य करेंगी, जिससे लोकतंत्र की मजबूती और पारदर्शिता बढ़ेगी।”

इन प्रस्तावों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भारतीय विधायिकाएं संविधान के आदर्शों के अनुसार कार्य करें और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से लागू करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Subscribe