रांची, झारखंड, 5 जून, 2025: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) मुख्यालय में आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गंगोत्री कन्वेंशन सेंटर स्थित संगम सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ कोल इंडिया लिमिटेड के कॉर्पोरेट गीत और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस मौके पर अतिथियों का स्वागत जीवंत पौधे भेंट कर किया गया, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति सीसीएल की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सीएमडी ने दिलाई “पर्यावरण प्रतिज्ञा”, हरित प्रयासों पर दिया जोर
कार्यक्रम में सीएमडी श्री निलेंदु कुमार सिंह, निदेशक (तकनीकी/संचालन) श्री चंद्र शेखर तिवारी, मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) श्री पंकज कुमार सहित विभिन्न विभागों के महाप्रबंधक, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
सीसीएल सीएमडी श्री निलेंदु कुमार सिंह ने सभागार में उपस्थित सभी को “पर्यावरण प्रतिज्ञा” दिलाई। इसके बाद कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन श्री पी. एम. प्रसाद का पर्यावरण संरक्षण पर सीसीएल कर्मियों के लिए दिया गया विशेष संदेश पढ़ा गया।
अपने संबोधन में सीएमडी श्री निलेंदु कुमार सिंह ने कहा, “पर्यावरण संरक्षण केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी सामूहिक जवाबदेही है। सीसीएल हर स्तर पर हरित भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने प्रदूषण कम करने के लिए सीसीएल द्वारा उठाए जा रहे प्रयासों और अपनी जरूरतों के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने पर भी प्रकाश डाला।
वनीकरण और प्रदूषण नियंत्रण में सीसीएल की उपलब्धियां
निदेशक (तकनीकी/संचालन) श्री चंद्र शेखर तिवारी ने बताया कि सीसीएल द्वारा अब तक 1 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं और वृहद पैमाने पर वनीकरण व वृक्षारोपण किया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि “मिशन ग्रीन कोल रीजन” और “डस्ट सप्रेशन सिस्टम” जैसे अभियान जल और वायु की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में कारगर सिद्ध हो रहे हैं।
मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री पंकज कुमार ने अपने प्रेरणादायक वक्तव्य में कहा कि बिजली-पानी की बचत जैसी छोटी-छोटी आदतें भी पर्यावरण संरक्षण में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। उन्होंने बच्चों में पर्यावरण के प्रति व्यावहारिक शिक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया।
नवीकरणीय ऊर्जा और जल संरक्षण में मील के पत्थर
सीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 245 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वृक्षारोपण कर हरित पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित की है। वायु प्रदूषण पर बेहतर निगरानी के लिए कमांड एरिया में 41 पीएम-10 एनालाइजर स्थापित किए गए हैं। नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए, सीसीएल ने वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 में क्रमशः 1.25 मेगावाट पीक (MWp) और 2.05 MWp रूफटॉप सोलर लगाए हैं। इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2025-26 में पीएम सूर्य घर योजना के तहत 2 मेगावाट रूफटॉप सोलर लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
सीसीएल को इस बात का गर्व है कि उसने अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में 287.95 लाख यूनिट सौर ऊर्जा उत्पन्न की, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 23,000 टन CO2 उत्सर्जन में कमी आई। पिपरवार क्षेत्र में 20 मेगावाट और गिरिडीह क्षेत्र में 04 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र पहले से ही स्थापित हैं, जिनसे हजारों टन CO2 उत्सर्जन कम हो रहा है।
जल संरक्षण के क्षेत्र में, सीसीएल परियोजनाओं में 104 तलछट तालाब (सेडीमेंटेशन पॉन्ड) और 34 ऑयल एवं ग्रीस ट्रैप का निर्माण किया गया है। 174 लाख किलोलीटर से अधिक अधिशेष खान जल का उपयोग लगभग 140 गांवों में सामुदायिक और सिंचाई कार्यों के लिए किया जा रहा है, जिससे लगभग 2 लाख लोगों को लाभ मिल रहा है।
‘Nature’s Voice Vol-III’ का विमोचन और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ की शुरुआत
इस अवसर पर सीसीएल की वार्षिक पत्रिका ‘Nature’s Voice Vol- III’ का विमोचन किया गया, जिसमें वर्षभर की प्रमुख उपलब्धियों और कर्मचारियों की रचनात्मकता को दर्शाया गया है। इस पत्रिका को पर्यावरण विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है।
कार्यक्रम के अंत में सीएमडी श्री निलेंदु कुमार सिंह, निदेशक (तकनीकी/संचालन) श्री चंद्र शेखर तिवारी और मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) श्री पंकज कुमार द्वारा वृक्षारोपण कर “एक पेड़ माँ के नाम” कार्यक्रम की शुरुआत की गई। यह अभियान मातृत्व सम्मान और पर्यावरण संरक्षण का एक सुंदर समन्वय है। इसके तहत सीसीएल मुख्यालय समेत सभी क्षेत्रों में हजारों पेड़ों का वितरण और रोपण किया गया।
ज्ञात हो कि सीएमडी श्री निलेंदु कुमार सिंह के कुशल नेतृत्व में सीसीएल द्वारा समय-समय पर पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है, जिससे न केवल कर्मचारियों में जागरूकता बढ़ती है बल्कि समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कार्यक्रम का संचालन महाप्रबंधक (पर्यावरण) संगीता ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन महाप्रबंधक (पर्यावरण) श्री राज कुमार ने दिया। इस कार्यक्रम की सफलता में पर्यावरण विभाग और अन्य विभागों का विशेष योगदान रहा।
Anjaan Jee
Editor in Chief & Publisher