गन्ना किसानों के लिए अलर्ट: स्मट रोग और शीर्ष छिद्रक कीट से बचाव हेतु विभाग ने जारी की एडवाइजरी

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पटना, 03 जून, 2025: बिहार के गन्ना किसानों के लिए महत्वपूर्ण खबर! गन्ना उद्योग विभाग ने राज्य में गन्ने की फसल पर बढ़ते कीट और रोगों के प्रकोप की आशंका को देखते हुए एक अहम एडवाइजरी जारी की है। खासकर ‘कलिका रोग’ (स्मट) और ‘शीर्ष छिद्रक कीट’ (टॉप बोरर) से किसानों को भारी नुकसान हो सकता है, जिसके लिए उचित प्रबंधन बेहद जरूरी है।

स्मट रोग: पहचान और बचाव के उपाय

स्मट रोग गन्ने का एक प्रमुख फफूंद जनित रोग है, जो मार्च के अंत से जून तक 32 से 38 डिग्री सेल्सियस तापमान में तेजी से फैलता है। इससे प्रभावित पौधों की पत्तियां नुकीली होकर खजूर जैसी हो जाती हैं, और फुनगी से काले चाबुकनुमा डंठल निकलते हैं। इससे ईख की गुणवत्ता और चीनी की मात्रा में भारी गिरावट आती है।

बचाव के लिए विभाग ने सलाह दी है:

  • संक्रमित गन्नों को प्लास्टिक बैग में जड़ समेत निकालकर तुरंत नष्ट करें।
  • प्रभावित खेतों में प्रोपिकोनाजोल नामक फफूंदनाशी दवा का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15-20 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।
  • रोगग्रस्त पौधों वाले खेतों से अगले फसल के लिए बीज का चुनाव न करें।
  • ऐसे खेतों में कम से कम दो वर्षों तक गन्ने की खेती न करें और फसल चक्र अपनाएं ताकि रोग के बीजाणु नष्ट हो जाएं।

शीर्ष छिद्रक कीट: फसल को ऐसे बचाएं

यह कीट गन्ने की पत्तियों की मध्य शिरा में छेद कर नुकसान करता है, जिससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है और बगल से टहनियां निकलने लगती हैं, जिसे ‘बंची टॉप’ कहते हैं।

इसे रोकने के लिए:

  • गन्ने की फसल के साथ मसाले वाली फसलों की अंतरफसल करने से प्रकोप कम होता है।
  • कीटों की निगरानी और उन्हें फंसाने के लिए फसल की छतरी से 15 सेमी ऊपर प्रकाश जाल (लाइट ट्रैप) लगाएं।

विशेषज्ञों की सलाह और अपील

ईख अनुसंधान संस्थान, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के निदेशक के अनुसार, इस वर्ष पूरे बिहार में गन्ने की फसल पर कलिका रोग और शीर्ष छिद्रक कीट का गंभीर प्रकोप देखा जा रहा है। संस्थान ने गन्ना उत्पादक किसानों से आग्रह किया है कि वे अपनी फसल की साप्ताहिक निगरानी करें और समय रहते विभाग द्वारा सुझाए गए नियंत्रण उपायों को अपनाएं। समुचित प्रबंधन से किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं, जिससे उपज, गुणवत्ता और आय में सुधार होगा।


Anjaan Jee
Editor in Chief & Publisher
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