गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ मनाया गया

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जमुहार, 07 जून, 2025: गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के नारायण पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट एंड एलाइड साइंसेज में आज विश्व पर्यावरण दिवस बड़े उत्साह, जागरूकता और प्रतिबद्धता के साथ मनाया गया। फिजियोथेरेपी विभाग द्वारा नोडल इकाई के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम में छात्र, शिक्षक और राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के स्वयंसेवकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

पौधारोपण से हुई कार्यक्रम की शुरुआत

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह, कुलसचिव प्रो. डॉ. धर्मेन्द्र, सहायक कुलसचिव कुंदन कुमार, निदेशक प्रो. डॉ. नीरज कुमार, एनएसएस एवं एनसीसी प्रभारी डॉ. मयंक कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत पौधारोपण से हुई, जिसमें सभी अतिथियों ने भाग लेकर पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया।

पर्यावरण संरक्षण के लिए तीन महत्वपूर्ण सुझाव

निदेशक प्रो. डॉ. नीरज कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि यह केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी की ओर एक सतत यात्रा है। उन्होंने घोषणा की कि इस आयोजन को हर वर्ष और अधिक व्यापक रूप में मनाया जाएगा तथा इसे संस्थागत परंपरा का हिस्सा बनाया जाएगा। उन्होंने पर्यावरण सुधार के लिए तीन महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए:

  1. प्लास्टिक का कम प्रयोग, पुन: उपयोग योग्य वस्तुओं का बढ़ावा, जल और ऊर्जा का संरक्षण।
  2. ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले और औषधीय पौधों का अधिक से अधिक रोपण।
  3. पर्यावरण शिक्षा के आलोक में छात्रों को शैक्षणिक और सह-पाठ्यक्रमीय गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूक और उत्तरदायी बनाना।

स्वच्छता अभियान और भविष्य की प्रतिबद्धता

इस अवसर पर वृक्षारोपण अभियान के अंतर्गत विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए गए। इसके साथ-साथ एनएसएस के स्वयंसेवकों ने स्वच्छता अभियान चलाया और “स्वच्छ परिसर, हरित परिसर” की भावना को साकार किया। एनएसएस समन्वयक रितेश पांडेय की सक्रिय भागीदारी और मार्गदर्शन सराहनीय रहा।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. पठनिया द्वारा किया गया, जबकि फिजियोथेरेपी विभाग प्रभारी डॉ. नरेंद्र कुमार ने सभी छात्रों और संकाय सदस्यों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि पर्यावरण संरक्षण के ऐसे प्रयास केवल एक दिन तक सीमित न रहकर पूरे वर्ष चलाए जाएंगे और विश्वविद्यालय की पहचान का हिस्सा बनेंगे।


Anjaan Jee
Editor in Chief & Publisher

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