महाकुंभ में 144 साल बाद आए शुभ मुहूर्त के कारण भगदड़ का एक बड़ा कारण बन गया। श्रद्धालु इस मुहूर्त में स्नान करने के लिए घाट पर डटे हुए थे, जिससे भीड़ बढ़ी और हादसा हुआ। प्रयागराज महाकुंभ में हुए हादसे में 40 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 90 लोग घायल हुए हैं। महाकुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि भगदड़ में 40 लोगों की जान गई, जिनमें से 20 मृतकों की पहचान हो चुकी है। 90 घायल अस्पताल में भर्ती हैं।
कैसे हुई भगदड़?
मंगलवार रात 10 बजे से संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी थी। प्रशासन ने स्नान के बाद श्रद्धालुओं को आगे बढ़ाने की योजना बनाई थी, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने की चाहत में श्रद्धालु वहीं रुक गए। बैरिकेडिंग के किनारे कई श्रद्धालु सो रहे थे, जब भीड़ बढ़ने लगी। बुधवार सुबह 1:45 बजे से 2 बजे के बीच भीड़ बेकाबू हो गई और श्रद्धालु बैरिकेडिंग तोड़कर संगम की ओर भागने लगे। इस दौरान बैरिकेडिंग से कूदते हुए लोग नीचे सो रहे श्रद्धालुओं पर गिर गए, जिससे भगदड़ मच गई।
25 लाख की आर्थिक सहायता
कुंभ मेला, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, में पहले भी भगदड़ हो चुकी है, जैसे 1954, 1986, 2003, और 2013 में। इस बार हुई भगदड़ में अब तक 40 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, और 90 घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की और इसे एक बड़ा सबक बताया।
2019 में कुंभ की व्यवस्था संभाल चुके अधिकारियों की तैनाती
महाकुंभ की व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने के लिए आशीष गोयल और भानु गोस्वामी को तैनात किया गया है। इसके साथ ही पांच विशेष सचिवों को भी महाकुंभ के लिए नियुक्त किया गया है। प्रयागराज के स्टेशनों पर अत्यधिक भीड़ की रोकथाम के लिए मेला स्पेशल ट्रेन और अतिरिक्त बसों के संचालन के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन से कहा कि महाकुंभ मेला क्षेत्र और प्रयागराज से बाहर जाने वाले मार्गों पर यातायात की कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर श्रद्धालु को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या स्नान पर मची भगदड़ और अव्यवस्था के कारण मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर श्रद्धालुओं की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। रीवा जिले के चाकघाट थाना क्षेत्र में यूपी-एमपी बॉर्डर पर हजारों श्रद्धालुओं की गाड़ियों को रोका गया है।
राहुल गांधी ने प्रशासन की लापरवाही को बताया जिम्मेदार
प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की मौत और कई के घायल होने पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ के कारण कई लोगों की मौत और कई घायल होने की खबर अत्यंत दुखद है। शोकाकुल परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”
राहुल गांधी ने प्रशासन की बदइंतजामी और कुप्रबंधन को इस हादसे का कारण बताते हुए कहा, “इस दुखद घटना के लिए कुप्रबंधन, बदइंतजामी और आम श्रद्धालुओं के बजाय VIP मूवमेंट पर प्रशासन का विशेष ध्यान होना जिम्मेदार है। महाकुंभ का काफी समय बाकी है, और कई और महास्नान होने हैं। सरकार को व्यवस्था में सुधार करना चाहिए ताकि आगे ऐसी कोई दुखद घटना न हो। VIP कल्चर पर लगाम लगनी चाहिए और सरकार को आम श्रद्धालुओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए।”
144 साल का दुर्लभ संयोग हादसे की वजह
महाकुंभ में 144 साल बाद आए शुभ मुहूर्त ने भगदड़ की एक बड़ी वजह बनी। श्रद्धालु इस मुहूर्त में स्नान के लिए घाट पर डटे रहे, जिससे भीड़ और ज्यादा बढ़ गई, और अंत में हादसा हुआ। डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि कुछ लोगों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी, जिससे वहां सो रहे श्रद्धालु भीड़ में दबकर घायल हो गए। डीआईजी ने यह भी कहा कि 29 जनवरी को वीआईपी प्रोटोकॉल लागू नहीं किया गया था, और न ही भविष्य में किसी दिन होगा।
उत्तर प्रदेश प्रशासन ने 1920 हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, ताकि लोग अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में होने वाली सभी सभाएं रद्द कर दीं और प्रयागराज जाने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि इस घटना की न्यायिक जांच होगी और तीन सदस्यीय कमेटी इस मामले की जांच करेगी।
महाकुंभ में भगदड़ के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ आज शाम तक 6.99 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। इसके अलावा 10 लाख से ज्यादा कल्पवासी वहां ठहरे हुए हैं। घटना के बाद उत्तर मध्य रेलवे के CPRO शशिकांत त्रिपाठी ने कहा कि स्नान के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ रहे थे। इस स्थिति को संभालने के लिए रेलवे प्रशासन ने 190 विशेष ट्रेनों का संचालन किया ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।