दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद, आम आदमी पार्टी ने पंजाब के विधायकों को दिल्ली तलब किया। बैठक के बाद पार्टी की अंदरूनी समस्याएं और पंजाब में बढ़ते कर्ज, नशा तस्करी और कानून व्यवस्था की चिंताओं को लेकर चर्चा तेज हो गई है। पार्टी को पंजाब मॉडल मजबूत करना पड़ेगा।
संजय कुमार विनीत : आप दिल्ली हारकर पंजाब के विधायकों,मंत्रियों, सांसदों को आनन फानन में आज दिल्ली तलब किया और आप सुप्रिमो द्वारा सिर्फ आधे घंटे की मिटिंग ली गयी । अब इस मिटिंग को लेकर कोई कारण तो रहा ही होगा। आखिर आप सुप्रिमो अरविंद केजरीवाल क्या संदेश देना चाहते हैं। यह मिटिंग पंजाब आप में फुट को दूर करने के लिए थी या फिर मान के पास कमान को तय करने के लिए थी, इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में चर्चा का बाजार गरम है। पर इतना तो तय है कि अब आप दिल्ली माडल की जगह पंजाब माडल के सहारे ही चलेगी।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में जब चुनाव प्रचार अपने चरम पर था उस समय से ही यह बात सामने आ रही कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी हारे या जीते, इसका प्रभाव पंजाब सरकार पर अवश्य पड़ने वाला है। पंजाब मंत्रीमंडल की बैठक के लिए पिछले पांच महीने से समय नहीं निकल पा रहा था और दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी सुप्रिमो द्वारा पंजाब के विधायकों, मंत्रियों और सांसदों को आनन फानन में दिल्ली बुलाया जाना और महज आधे घंटे में बैठक खत्म हो जाना कयी कयासों को जन्म देता है। हलांकि मिटिंग के बाद पंजाब सीएम भगवंत मान द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में पंजाब के आप नेताओ के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित करने और पंजाब में जनहित कार्यो को और तीव्र गति प्रदान करने पर चर्चा की बात कही।
हालांकि ,भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के नेताओं का इस तरह का तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा है। अगर आप सुप्रिमो अरविंद केजरीवाल को केवल धन्यवाद ही बोलना था तो वह आराम से टाइम लेकर भी बोल सकते थे। और अगर अरविंद केजरीवाल को केवल स्पीच ही देना था वो विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी पंजाब के विधायकों को संबोधित कर सकते थे। ऐसा वो करते भी आये हैं।जिस तरह 88 विधायकों, सांसदों को बुलाया था, उससे लग रहा था कि ये मिटिंग लम्बी होगी और कम से कम एक विधायक को 5 मिनट तो देंगे ही।
ऐसी स्थिति में संदेह के बादल उठने स्वाभाविक हैं।बीजेपी नेताओं का मानना है अरविंद केजरीवाल खुद पंजाब का सीएम बनना चाहते हैं।हलांकि इस खेल में बीजेपी कहीं नहीं है, क्योंकि पंजाब में उसकी ताकत केवल दर्शक बने रहने भर की ही है। पर दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पंजाब के करीब 30 आप विधायक उनके संपर्क में है। हलांकि इस 30 विधायकों के आंकड़ों से सरकार पर कोई प्रभाव नहीं होने वाली। पंजाब में विधानसभा की 117 सीटों में से 92 सीटों पर कब्जा कर प्रचंड बहुमत की सरकार आप बनायी थी। इसलिए, सरकार गिरने और गिराने की बात हास्यास्पद है। पर कैबिनेट की बैठक दोबारा टालने पर आप सरकार की आलोचना करते हुए काग्रेस नेता बाजपा ने कहा कि पंजाब में कैबिनेट की आखिरी बैठक पांच अक्टूबर को हुई थी और दिल्ली के इस मिटिंग को लेकर फिर से मंत्रीमंडल की बैठक को टाल दिया गया।पंजाब दिवालिया होने की दहलीज पर खड़ा है, राज्य में नशे के खतरे और कानून व्यवस्था जैसे अन्य मामले बड़े पैमाने पर मंडरा रहे हैं। जाहिर है कि कुछ न कुछ पार्टी के अंदर ठीक नहीं चल रहा है।
दरअसल, पंजाब सरकार भले ही कानून व्यवस्था को अन्य प्रदेशों से बढ़िया होने का दावा करती रही है पर कानून व्यवस्था पर प्रश्न लगातार उठते रहें हैं , क्यूंकि गैंगस्टर कल्चर, नशा तस्करी और क्राइम बढ़ गया है। एक के बाद एक थानों पर हमले हो रहे है। विपक्ष इस पर सरकार को घेर रहा है। सत्ता में आते ही नशामुक्ति का वादा था पर नशा अभी तक खत्म नहीं हुआ है। राज्य पर बढ़ता कर्ज पंजाब पर इस समय 3.75 लाख करोड़ का कर्ज है। इस वजह से विकास योजनाओं के लिए फंड जुटाना मुश्किल हो रहा है। मुफ्त बिजली, महिलाओं को फ्री बस सर्विस और अन्य विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए भी पैसे की जरूरत है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 28 हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ा है। खर्च कम कर अपने रिसोर्स पैदा करने होंगे।
पंजाब में आप प्रचंड बहुमत में है ऐसे में भगवंत मान को खतरा हो सकता है पर आम आदमी सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। ज्यादा से ज्यादा ये हो सकता है कि अरविंद केजरीवाल यहां मान को बदलकर किसी और को सीएम बना सकते हैं। जैसा सभी पार्टियां करती रही हैं, चुनाव के पहले भी सीएम बदले जाते रहे हैं और उसका फायदा चुनावों में लिया जाता रहा है। कूछ दिन पहले पंजाब आप प्रधान द्वारा कि पंजाब का मुख्यमंत्री कोई गैर जटसिख भी हो सकता है, इसे लेकर ही विपक्षियों को साधने का मौका मिल गया। भाजपा ने इसे लेकर ही कहना शुरू कर दिया कि मान को हटाकर केजरीवाल खुद पंजाब के सीएम बनना चाहतें हैं। इससे किसी संवैधानिक पद पर आसीन होकर वो अपने लिए सारी सुख, सुविधा और महंगे वकील जुटा सके।
पंजाब काग्रेस और पंजाब बीजेपी के तमाम आरोपों पर आप के द्वारा सधी जबाब दिये जा रहे हैं। शीर्ष नेतृत्व भी आप में आल इज वेल की बात कर रहे हैं। फिलहाल तो भगवंत मान ही पंजाब के मुख्यमंत्री रहेंगे, इतना तय माना जा रहा है। आप की ध्वस्त दिल्ली माडल के बाद पंजाब माडल ही को मजबूत करना आप की बाध्यता रहेगी, क्यूंकि राज्यों के चुनाव में दिखाने के लिए होगी। नशा तस्करी, गैंगस्टर कल्चर, कानून व्यवस्था के साथ राजस्व जुटाकर वायदे पुरा करना ही आप की परीक्षा होगी।