राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा

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संजय कुमार विनीत : बिहार की राजनीति में अनेक ऐसे पिता हुए जिन्होंने अपनी संतान को राजनीति में स्थापित किया। अबतक बिहार सीएम नितीश कुमार के बेटे निशांत को राजनीति में स्थापित करने जैसी कोई बात सामने तो नहीं है, पर पटना में लगे पोस्टर “राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा” को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है। ना तो नितीश कुमार ने कभी निशांत को राजनीति में लाने की बात कही है। और तो और खुद निशांत कुमार कह चुके हैं – हम अध्यात्म में काफी आगे बढ़ चुके हैं , राजनीति, ना बाबा ना।

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले राज्य में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। अब पटना में एक पोस्टर के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत पर निशाना साधा गया है। एक बात यह भी है कि सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत की अभी तक राजनीति में एंट्री नहीं हुई और ना ही उनकी सियासी पारी को लेकर अभी तक किसी तरह की कोई आधिकारिक पुष्टि की गई है। हालांकि, कई नेता यह जरूर कह चुके हैं कि अगर निशांत राजनीति में आते हैं तो यह अच्छी बात है।

सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के सक्रिय राजनीति में आने से पहले ही पटना में पोस्टर वॉर शुरू हो गया है। पटना में जगह-जगह पोस्टर लगाकर सीएम नीतीश कुमार और उनके बेटे निशांत पर हमला बोला गया है। पोस्टर में सीएम नीतीश कुमार और निशांत की तस्वीर है और पोस्टर पर लिखा गया है कि राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा। हरनौत की जनता जिसको चाहेगी राजा वही बनेगा। निशांत कुमार VS रवि गोल्डन कुमार। 2025 हरनौत विधानसभा चुनाव।’ इसके अलावा इस पोस्टर पर निशांत कुमार और सीएम नीतीश कुमार की तस्वीर है। रवि गोल्डन कुमार के साथ राहुल गाँधी की भी तस्वीर है। इसके साथ ही पोस्टर में तस्वीर के साथ कांग्रेस का चुनाव चिह्न ‘हाथ’ भी है, जिससे पता चलता है कि वह ये मानकर चल रहें हैं कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग के तहत हरनौत सीट कांग्रेस कोटे में आएगी और वह पार्टी और गठबंधन के प्रत्याशी होंगे या फिर काग्रेस यहाँ से अकेले दम अजमायेगी।

यूं तो बिहार की राजनीति में अनेक ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी संतानों को राजनीति में लाकर उन्हें स्थापित किया। लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्रा, रामविलास पासवान, जीतनराम मांझी, जगदानंद सिंह, सीपी ठाकुर, अखिलेश सिंह, अशोक चौधरी इसके उदाहरण हैं। लेकिन इससे इतर नीतीश कुमार के पुत्र निशांत की अबतक राजनीति में इंट्री नहीं हुई है , और ना ही आधिकारिक तौर पर इस संबंध में कोई खबर, सूचना है। जदयू के कयी नेता निशांत की राजनीति में इंट्री चाहते हैं। होली के बाद शायद इसकी संभावना जन्म ले और ये साकार हो जाये। पर खुद निशांत भी राजनीति को ना बाबा ना कह अध्यात्मिक क्षेत्र में ही अपनी रूचि को स्पष्ट करते रहें हैं।

हरनौत विधानसभा क्षेत्र नालंदा जिले में आता है। नालंदा नीतीश कुमार का गृह जिला है। नीतीश कुमार हरनौत से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और जीते भी हैं। अब निशांत सक्रिय राजनीति में आते हैं या नहीं, आते हैं तो क्या हरनौत से लड़ेंगे? इस पर सबकी नजरें टिकी हैं। पर जगह जगह इस पोस्टर के जरिये जो संदेश देने का प्रयास किया गया है, इसपर एकबार फिर बहस के मुद्दे बन गये हैं।

बिहार की राजनीति में अनेक ऐसे पिता हुए जिन्होंने अपनी संतान को राजनीति में स्थापित किया। देश की राजनीति में भी अनेक ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी संतानों को राजनीति में लाकर उन्हें स्थापित किया और राजनीति को प्रभावित किया है। बिहार राज्य में पिता – पुत्र या पुत्री की यह जोडियां लालू यादव और तेजस्वी यादव,जगन्नाथ मिश्र और नीतीश मिश्र, रामविलास पासवान और चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और संतोष कुमार सुमन , सीपी ठाकुर और विवेक ठाकुर , अशोक चौधरी और शांभवी चौधरी,अखिलेश प्रसाद सिंह और आकाश सिंह बिहार की राजनीति को प्रभावित करते रहें हैं और झारखंड बिधानसभा चुनाव में भी ऐसी कयी जोडियां देखने को मिली थी। तो ऐसे में नीतीश और निशांत की जोड़ी अगर सामने आये तो कोई आश्चर्य नही होना चाहिए।

इस पोस्टर से स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि निशांत कुमार राजनीति में कदम रखने वाले हैं। हालांकि, यह सिर्फ एक चर्चा है, लेकिन इस पोस्टर ने निश्चित तौर पर उन चर्चाओं को एक नया मोड़ दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस पोस्टर का बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा और क्या निशांत कुमार राजनीति में आयेंगे और अपनी जगह बना पाएंगे।

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