संजय कुमार विनीत : भागलपुर की सरजमीं पर पूरे बिहार के किसानों को अपनी आवाज और अंग क्षेत्र को काफी सौगात देकर पीएम मोदी ने बिहार में चुनावी शंखनाद कर दिया। सीएम नीतीश और पीएम मोदी की कैमिस्ट्री और मंचासीन एनडीए घटक दलों के नेताओं की संतुष्टि भरा भाव से स्पष्ट दिखा कि बिहार में एनडीए एकजुट है। इससे साफ हो गया कि एनडीए बिहार में आगामी चुनाव पीएम मोदी का भरोसा और सीएम नीतीश के चेहरे पर ही लडने जा रही है।
कयी कार्यक्रमों से सीएम नीतीश के गायब रहने की वजह से चर्चाओं का बाजार गर्म था, हलांकि उनके प्रतिनिधि शामिल होते रहे थे। सीएम नीतीश स्वयं राज्य के विभिन्न जिलों में लगातार प्रगति यात्रा पर थे। सीएम नीतीश अपनी प्रगति यात्रा के दौरान 30000 करोड़ से अधिक राशि की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। नीतीश ऐसे ही अपनी यात्राओं के लिए जाने भी जाते रहे हैं।
पीएम मोदी ने एयरपोर्ट से मंच तक किसानों के बीच से गुजरने वाले अपने रोड शो में अपने साथ सिर्फ नीतीश कुमार को रखकर मतभेद के प्रश्न को विराम लगा दिया। पीएम मोदी ने अपने दोनों डिप्टी सीएम तक को इससे दूर रख एक बड़ा संदेश दिया।सीएम नीतीश कुमार भी अपने सम्बोधन में जहाँ कयी बार पीएम मोदी के लिए श्रद्धेय, आदरणीय जैसे सम्मान जनक शब्दों का चयन कर एकजुटता का विश्वास दिलाया, वहीं पीएम मोदी का नीतीश कुमार के लिए लाडले मुख्यमंत्री का सम्बोधन राजनीतिक गलियारों में एक दूसरे के प्रति नाराजगी की चर्चा को पुर्ण विराम लगा दिया।
बिहार में गठबंधन की सरकार का इतिहास बहुत ही पुराना है। पहली बार 1967 में काग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए महामाया प्रसाद ने साक्षे की सरकार बनायी थी, पर यह ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पायी। बीजेपी ने लालू यादव को भी समर्थन देकर मुख्यमंत्री बनाया था, पर आडवाणी के रथ को रोकने पर बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया था। 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा, नीतीश को समर्थन करते आयी है, और नीतीश मुख्यमंत्री बनते रहें हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2022 और 2024 में गठबंधन बदलकर आरजेडी के साथ गये, हलांकि वे मुख्यमंत्री बने रहें।
लेकिन फिलहाल वह एनडीए के साथ हैं और हर मंच से कहते हैं कि अब वह कही नहीं जाएंगे और बिहार के विकास के लिए हर संभव काम करेंगे।
पाला बदलकर भी लगातार मुख्यमंत्री बने रहने वाले नीतीश कुमार को शायद आरजेडी का साथ रास नहीं आया। बताया जाता है कि वो लालू परिवार के दखलअंदाजी को लेकर खासे परेशान थे। हलांकि, बीजेपी और आरजेडी दोनों नीतीश के लिए पलकें बिछाये इंतजार में रहते हैं। दरअसल बिहार में कुछ ऐसे राजनीतिक समीकरण बनते हैं कि जिसके भी साथ नीतीश हों, सरकार उन्हीं की बनती है। सदाबहार मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार हैं ही। हाल ही में आरजेडी सुप्रिमो लालू यादव ने फिर से नीतीश कुमार के लिए रास्ता खोलकर स्वागत करने की बात की, जिससे चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। हलांकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इससे इंकार कर दिया था।
जिस तरह से सीएम नीतीश ने प्रधानमंत्री के मंच से आरजेडी पर हमला किया। 2005 के पहले की अपहरण, अराजकता, लूटपाट, असुरक्षा की याद दिलाई। सडकों और बिजली व्यवस्था पर घेरा। इससे तो अब नहीं लगता कि सीएम नीतीश पाला बदलने वाले हैं। दरअसल, अब सीएम नीतीश के लिए पाला बदलना भी आसान नहीं है। क्योंकि, इससे बदनामी का भी उन्हें डर है। बार बार पाला बदलने से छवि धूमिल होने का खतरा है। सीएम नीतीश अपने स्वच्छ छवि के लिए ही पसंद किये जाते हैं।
इतने से ही नहीं कहा जा सकता है कि एनडीए में सब सेट है। सीटों को लेकर एनडीए में भी खींचतान है। 2024 के लोकसभा चुनाव से इतरायी जदयू 125 बिधानसभा सीटों की लिस्ट लिए घुम रही है। भाजपा खुद जदयू से कम सीटों पर लडने को तैयार नहीं है। सौ फीसदी स्ट्राइक रेट लेकर लोजपा (आर) आगे बढने को उत्सुक है,हम सुप्रिमो जीतन राम मांझी भी कह चुके हैं कि रोटी के एक टूकड़े से वो मानने वाले नहीं। आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा की अपनी अलग अपेक्षा रहेगी। खैर, एनडीए हमेशा बिना हंगामे के आसानी से सीट शेयरिंग कर मजबूती से हर जगह लडती रही है।
बिहार साधने आये मोदी एनडीए की एकजुटता का बखूबी प्रदर्शन करने में सफल रहें, वहीं अब भी विपक्षी पार्टियां गठबंधन को लेकर वयानवाजी तक ही सीमित है। हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली जीतकर जहाँ मोदी आगे जीत के लिए बढ रहें हैं, वहीं विपक्षी पार्टियां इन हार से अबतक कोई सबक नहीं ले पायी है। विपक्षी पार्टियां अबतक गठबंधन के लिए कोई स्पष्ट संदेश नहीं दे पायी है। इससे उलट अबतक एक दूसरे को कमजोर कहते हुए आहत करने में लगे हैं। शायद ये सीट शेयरिंग में अपने हिस्से ज्यादा सीट मिले वाली रणनीति पर हो, पर इससे एनडीए को फायदा मिलना तय हो जाता है।
पीएम मोदी ने बिहार चुनाव को लेकर यह भी स्पष्ट कर दिया कि जाति पाति से उपर उठकर एनडीए चुनावी तैयारी कर रही। बिहार की 75℅ आबादी किसानी पर निर्भर है, इसलिए किसानों के लिए खजाना खोल दिया। किसान हर जाति और धर्म से आते हैं। इससे जाति जनगणना का काट आसानी से निकल पाने की उम्मीद है। आरजेडी और लालू यादव पर मोदी जमकर बरसे, पर काग्रेस और राहुल को लेकर एक शब्द नहीं बोलकर यह संदेश दिया कि एनडीए के मुकाबले में आरजेडी और लालू परिवार है। इससे चुनाव का गणित आसान हो जाता है, ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है। क्योंकि एनडीए बनाम लालू सरकार और सुशासन बनाम भ्रष्टाचार की लड़ाई में एनडीए हमेशा लाभ में रहेगी।
बिहार एनडीए को एक मास्टर स्ट्रोक का इंतजार था, ताकि बिहार में चुनाव प्रचार की शुरूआत की जा सके। दिल्ली विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत से उत्साहित हैं ही। इसके अलावे एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा के दौरान 30000 करोड़ से अधिक की राशि के योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए पिटारा खोल दिया। इससे एनडीए डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां की बदौलत महागठबंधन को पटखनी देने की तैयारी में है। अभी चुनाव में सात आठ महीने बाकी है। विपक्षी पार्टियां क्या कदम उठाती है, देखना दिलचस्प होगा।