बिहार में मंत्रीमंडल विस्तार : नरेंद्र मोदी का प्लान साधेंगे सर्वस्पर्शी समाज

Subscribe & Share

संजय कुमार विनीत : राम मंदिर निर्माण और महाकुंभ का सफलतम आयोजन के बाद बिहार विधानसभा का चुनाव होना है। यहाँ शुरूआती चुनावी दौर में तो ‘एक हैं तो सेफ हैं’, चल सकती है। पर वोट डालते वक्त यहाँ के मतदाताओं के दिलोदिमाग में जातियाँ प्रभावी हो जाती है। बिहार का चुनाव अंततः जाति पर ही जाकर अटक जाती है। बीजेपी सिर्फ 81 फीसदी हिंदू है, यह मानकर अपनी जीत को पक्का नहीं समझ सकती, बिहार का चुनाव अंततः जाति पर ही जाकर अटक जाता देखा गया है। इसलिए बीजेपी ने आज मंत्रीमंडल विस्तार में सर्वस्पर्शी समाज को साधने का प्रयास किया है।

राम मंदिर निर्माण से लाभ लेकर महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी ने अप्रत्याशित जीत हासिल की। वहीं दिल्ली में राम मंदिर निर्माण और महाकुंभ के सफल आयोजन का लाभ मिला। योगी जी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे का तो हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में जमकर लाभ मिला। यह भी सच है कि 2014 के बाद से खासकर हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदूओं मतदाताओं के बीच बीजेपी के लिए खासी जगह बनी है। राष्ट्रपति पद पर आसीन महामहिम द्रोपदी मुर्मू और खुद नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना भी कमंडल और मंडल के मिथ को तोडा है। इससे हिंदू राजनीति के समावेशी होने का पुख्ता सबूत है।

बाबजूद इसके बिहार के चुनावी परिणामों पर अगर गौर करें तो यहाँ जातियाँ ही परिणामों को प्रभावित करती रही है। महाकुंभ में जाति से उपर उठकर अपार शिरकत से बीजेपी को जरूर उम्मीद जगी है। उत्तर प्रदेश से सटा राज्य होने के कारण यह स्वाभाविक भी है। पर बिहार में आरजेडी के एम वाई समीकरण के काट के लिए बीजेपी ने आज मंत्रीमंडल विस्तार में बिहार के हर जातियों और हर क्षेत्रों को जगह देकर सर्वस्पर्शी समाज का संकेत दिया है। इससे लगता है कि बीजेपी बिहार में विजय के लिए एक हैं तो सेफ हैं के साथ साथ सर्वस्पर्शी समाज को भी लेकर चल रही है।

बिहार मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री समेत 30 मंत्री ही थे। जिसमें बीजेपी के 15 मंत्री, जिनमें दो उप-मुख्यमंत्री शामिल हैं। जदयू से 13 मंत्री हैं, जिनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हैं। एक मंत्री हम (से) से एक और एक निर्दलीय विधायक भी मंत्री हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा के संख्या बल के हिसाब से कुल 36 मंत्री हो सकते हैं। छह पद खाली थे , और एक मंत्री पद बीजेपी के बिहार अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के आज इस्तीफा देने से खाली हुआ। दरअसल, बीजेपी में एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत को लेकर इस्तीफा दिया‌। दिलीप जायसवाल पार्टी के कार्य में अधिक ध्यान देना चाहते हैं। इस तरह कुल सात मंत्री के पद खाली थे, जिसे आज बीजेपी के कोटे से मंत्रीमंडल विस्तार कर भरा गया।

सवाल यह भी उठ रहा है कि इस मंत्रिमडंल विस्तार में जेडीयू के विधायक मंत्री क्यों नहीं बनाये गये हैं। इसके लिए बिहार की दलगत स्थिति पर गौर करना होगा। बिहार में सत्ता पक्ष के पास 131 सदस्य हैं, जिसमें बीजेपी के 80, जदयू के 45 , हम के 04, निर्दलीय 02 से हैं। दरअसल विधानसभा पार्टियों के सदस्यों की संख्या के लिहाज से जेडीयू का कोटा पहले से ही भरा है‌।जेडीयू के 45 विधायकों के आधार पर जितने मंत्री बन सकते थे। ये आंकड़ा पहले ही पूरा हो चुका है, इसकी संख्या 13 होती है। इसलिए जब सीएम नीतीश कुमार और जेपी नड्डा के बीच मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा हुई तो नीतीश ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई और नीतीश ने खाली मंत्रियों की संख्या भरने पर हरी झंडी दे दी। बीजेपी को आगामी चुनाव को लेकर जरूरी भी था।

अब बिहार के जातीय समीकरण पर गौर करें तो जाति आधारित गणना 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में हिंदुओं की सबसे ज्यादा आबादी है। यहां 81 फीसदी हिंदू हैं, जिसमें अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी, पिछड़े वर्ग की आबादी 27 फीसदी, एससी की आबादी 19 फीसदी, एसटी की आबादी 1.6 फीसदी और मुसहर की आबादी 3 फीसदी है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सवर्ण काफी कम आबादी में सिमट गए हैं। अनारक्षित की आबादी बिहार की कुल आबादी का 15 फीसदी है, जो 2 करोड़ 02 लाख 91 हजार 679 है।

बीजेपी राज्य में “एक हैं तो सेफ हैं ‘ के साथ साथ जातीय समीकरण साधने की कोशिश में भी है। मंत्रीमंडल में शामिल किये गए बीजेपी विधायकों में कृष्ण कुमार मंटू, संजय सरावगी, विजय मंडल, राजू सिंह, जीवेश मिश्रा, मोतीलाल ,सुनील कुमार का नाम शामिल है। यह सभी राजपूत, भूमिहार, कुर्मी, कुशवाहा, दलित और वैश्य समाज से चेहरे हैं। संजय सरावगी, दरभंगा से बीजेपी विधायक हैं और वैश्य समाज से आते हैं। कृष्ण कुमार उर्फ मंटू पटेल अमनौर से बीजेपी विधायक हैं और कुर्मी समाज से ताल्लुक रखते हैं। राजू सिंह साहिबगंज से बीजेपी विधायक हैं,राजपूत जाति से आते हैं। वे वीआईपी के टिकट पर 2020 का विधानसभा चुनाव लड़े और जीते थे। बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गए थे। जीवेश मिश्रा जाले से बीजेपी के विधायक हैं और भूमिहार जाति से आते हैं, वे पहले भी मंत्री रह चुके हैं। विजय कुमार मंडल सिकटी विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं। मोती लाल प्रसाद रीगा से बीजेपी विधायक हैं।मौजूदा समय में बीजेपी कोटे के कई मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं, इन्हीं विभागों को इन नये मंत्रियों को आबंटित किये जायेंगे।

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दक्षिण पंथी के तरफ हिंदुओं का झुकाव बढ़ा है। सनातन संस्कृति- धर्म के प्रति भी लोगों की आसक्ति बढी है। महाकुंभ से गंगा मैया ने भी भेदभाव मिटने का संकेत दिया है। प्रधानमंत्री और बीजेपी को इससे चुनाव में लाभ मिलने की उम्मीद भी रही है। 1990 वाली कमंडल और मंडल वाली बात अब नहीं रही। मंडल अब कमंडल लेकर चलते देखे जा रहे हैं, अब यह एक शब्द भर बनकर रह गया है। बाबजूद इसके बीजेपी भी सोशल इंजिनियरिंग को लेकर चलती रही है। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही यह कैबिनेट विस्तार किया गया है। हर वर्ग के नेताओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए कैबिनेट में एडजस्ट करने की पहल की गयी है। अब देखना यह होगा कि एनडीए को चुनाव में इसका कितना लाभ मिल पाता है।

× Subscribe