बिहार में दंगों की घटनाओं में पिछले दो दशकों में तीन गुना की कमी

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पटना – 8 अप्रैल, 2025 – बिहार पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में दंगों की घटनाओं में वर्ष 2004 से लेकर 2024 तक उल्लेखनीय रूप से तीन गुना की कमी दर्ज की गई है। इस सकारात्मक बदलाव में वर्ष 2016 में लागू हुई पूर्ण शराबबंदी और वर्ष 2021 में शुरू की गई आपातकालीन हेल्पलाइन 112 डायल प्रणाली का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी दंगों से संबंधित आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2001 में बिहार में 8,520 दंगे हुए थे। वर्ष 2004 में यह संख्या बढ़कर 9,199 तक पहुंच गई। वर्ष 2015 में दंगों की घटनाओं में मामूली वृद्धि देखी गई और यह आंकड़ा 13,311 रहा। हालांकि, वर्ष 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद दंगों की संख्या में तेजी से गिरावट आई और यह 11,617 तक पहुंच गई।

इसके बाद, वर्ष 2021 में बिहार पुलिस ने आपातकालीन सेवाओं के लिए डॉयल-112 प्रणाली की शुरुआत की। इस प्रणाली के शुरू होने के बाद दंगों की घटनाओं में और भी तेजी से कमी आई। वर्ष 2021 में दंगों की संख्या घटकर 6,298 हो गई, जबकि वर्ष 2024 में यह और भी आधी होकर मात्र 3,186 दर्ज की गई है।

इस प्रकार, पिछले 20 वर्षों में बिहार में दंगों की वारदातों की संख्या में तीन गुना की कमी आई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में तो दंगों के केवल 205 मामले ही दर्ज किए गए थे। आपातकालीन स्थिति या किसी भी घटना की सूचना डॉयल-112 पर देने के बाद पुलिस औसतन 15 से 20 मिनट के भीतर घटनास्थल पर पहुंच जाती है, जिससे त्वरित कार्रवाई संभव हो पाती है। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में दंगों की 9,419 घटनाएं हुई थीं, जो वर्ष 2021 में घटकर 6,298 हो गईं, यानी एक ही वर्ष में 3,000 से अधिक की कमी दर्ज की गई।

बिहार पुलिस मुख्यालय का यह आंकड़ा राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदमों की सफलता को दर्शाता है।


संजय कुमार विनीत
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक

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