बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के हालिया बयान ने राजनीति में हलचल मचा दी है। बिहार दौरे के दौरान अमित शाह ने यह स्पष्ट किया कि 2025 के चुनाव में एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि चुनाव जीतने पर नीतीश कुमार को सीएम बनाया जाएगा? इस सवाल पर स्थिति अभी भी अस्पष्ट बनी हुई है।
अंजान जी: अमित शाह ने पटना में एक सहकारिता विभाग के कार्यक्रम में कहा, “2025 में बिहार में मोदी जी और नीतीश जी के नेतृत्व में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनाइए और बिहार को विकास का एक और मौका दीजिए।” शाह के इन शब्दों से यह संदेश जाता है कि नीतीश कुमार को किनारे करने के बारे में बीजेपी का कोई इरादा नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि चुनाव जीतने के बाद नीतीश कुमार को सीएम के रूप में स्वीकार किया जाएगा या नहीं, जिससे राजनीतिक गलियारों में विभिन्न कयास लगाए जा रहे हैं।
क्या नीतीश कुमार को सीएम कैंडिडेट घोषित करने से बच रही है बीजेपी?
नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के लिए यह स्थिति बेहद संवेदनशील है। यदि बीजेपी नीतीश कुमार को सीएम कैंडिडेट के रूप में स्वीकार करती है, तो यह उनके समर्थकों को संतुष्ट कर सकता है, लेकिन बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता और समर्थक इससे नाराज हो सकते हैं, खासकर अगर नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाए। ऐसी स्थिति में बीजेपी को यह डर हो सकता है कि नीतीश के नेतृत्व को स्वीकार करने से पार्टी का समर्थन कमजोर हो सकता है और नाराज कार्यकर्ता या वोटर सीधे तौर पर विपक्षी दलों की ओर बढ़ सकते हैं।
बीजेपी की रणनीति को लेकर एक संभावित दृष्टिकोण यह भी है कि पार्टी बिहार में “दिल्ली मॉडल” अपनाने की कोशिश कर सकती है, जैसा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में किया था। बीजेपी चाहती है कि विपक्षी गठबंधन में निराश और एंटी-इंकरबेंसी वाले वोट पूरी तरह से आरजेडी की ओर न जाएं। ऐसे में पार्टी की रणनीति हो सकती है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए, लेकिन सीएम पद को लेकर कोई स्पष्ट निर्णय चुनाव परिणामों के बाद लिया जाए।
महाराष्ट्र मॉडल की संभावनाएं
बीजेपी शायद बिहार में महाराष्ट्र वाली रणनीति पर भी विचार कर रही है, जहां चुनाव के दौरान एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाए रखा गया था, लेकिन परिणाम के बाद उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया गया। बिहार में भी, चुनाव परिणाम के बाद अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं, तो हो सकता है कि उनका पुत्र निशांत कुमार को डिप्टी सीएम बनाया जाए। इस रणनीति के तहत बीजेपी यह चाहती है कि चुनाव प्रचार के दौरान गठबंधन एकजुट रहे और कोई भी पार्टी या नेता कमजोर न पड़े।
क्या कहेंगे बिहार के लोग?
बीजेपी की यह रणनीति, जिसमें नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर सीधे तौर पर घोषित नहीं किया गया है, बिहार के चुनावी माहौल को दिलचस्प बना सकती है। अब यह देखना होगा कि 2025 में चुनाव के समय बिहार की जनता किस नेतृत्व को स्वीकार करती है और क्या एनडीए का गठबंधन अपनी पूर्णता में अपना नेतृत्व तय कर पाएगा।