प्रधान सचिव ने इस अवसर पर ‘जल-जीवन-हरियाली’ अभियान को मानव जगत को सुरक्षित रखने वाली एक व्यापक और बहुआयामी सोच पर आधारित बताया। उन्होंने कहा कि यह अभियान पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन में हो रहे अप्रत्याशित बदलावों के दुष्परिणामों से निपटने की दिशा में कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम में हुई परिचर्चा का मुख्य विषय ‘पेय जल संकट वाले क्षेत्रों के लिए गंगा जल आपूर्ति योजना’ रहा। इस संबंध में बताया गया कि इस योजना के कारण राजगीर, नवादा, गयाजी और बोधगया जैसे शहरों में भू-जल का दोहन बहुत कम हुआ है, जिससे भू-जल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। गंगा जल के भंडारण जलाशयों, जैसे गंगा जी राजगृह जलाशय और गंगा जी गया जलाशय के आस-पास के भू-भाग में भी भू-जल स्तर में बढ़ोतरी हुई है।
इसके अतिरिक्त, औरंगाबाद, डिहरी और सासाराम शहरों के लिए सोन नदी में उपलब्ध सतही जल का उपयोग करते हुए पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य चल रहा है। इस योजना के कार्यान्वयन से इन शहरों में भूगर्भीय जल पर दबाव कम होगा, जिसके परिणामस्वरूप भूगर्भीय जल स्तर बढ़ेगा और पर्यावरण पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा।
ग्रामीण विकास विभाग के उप-मिशन निदेशक (जल-जीवन-हरियाली मिशन) श्री राम कुमार पोद्दार ने जोर दिया कि “जल-जीवन-हरियाली के बिना जीवन सुरक्षित नहीं है।” उन्होंने इस अभियान के उद्देश्यों को पूर्ण करने और आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आमजनों में जागरूकता लाने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर वरीय सलाहकार (नीतिगत मामले) श्री रविंद्र कुमार शंकर और ईश्वर चंद्र ठाकुर (परामर्शी, अध्यक्ष, शासी परिषद् WAMDI), श्रीमती नीना झा (उप निदेशक, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग) सहित अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी जल-जीवन-हरियाली अभियान की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में अभियान से जुड़े विभिन्न क्रियान्वयन विभागों के पदाधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे।
Anjaan Jee
Editor in Chief & Publisher
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