संजय कुमार विनीत : आस्था, एकता और समता का महापर्व महाकुंभ, प्रयागराज की महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ ही पूर्णाहुति हुई। महाकुंभ एक विश्व स्तरीय आयोजन बना, 66 करोड़ 30 लाख से ज़्यादा लोगों ने पवित्र डुबकी लगा कर एक रिकॉर्ड बनाया। 45 दिनों में सौ देशों से प्रतिनिधि आए, राष्ट्राध्यक्ष आए। केंद्र और राज्य ने मिलकर साढ़े सात हज़ार करोड़ रूपये खर्च किया था, जो इस महाकुंभ को भव्यता और दिव्यता प्रदान की। महाकुंभ के दौरान योगी के समक्ष जहाँ इसके सफल आयोजन की चुनौती थी, वहीं विरोधियों के वयानों पर सटीक जबाब देना भी कम बड़ी चुनौती नहीं थी। प्रधानमंत्री मोदी अपने एक ब्लाग से भी चर्चा को जन्म दे दिया है।
45 दिवसीय इस महाकुंभ आयोजन के दौरान रिकॉर्ड 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया। ये आंकड़ा अमेरिका की आबादी (करीब 34 करोड़) से दोगुना है। संगम में डुबकी लगाने वालों की यह संख्या 193 देशों की जनसंख्या से ज्यादा है। सिर्फ भारत और चीन की आबादी महाकुंभ आए से कम है। इतना बड़ा धार्मिक समागम पुरे विश्व में आजतक कभी कहीं नहीं हुआ, ऐसा भी दावा किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 1 लाख से अधिक अधिकारी गण इस आयोजन से जुड़े रहे। इसमें सबसे अधिक सुरक्षा कर्मी थे। 3000 हजार सीसीटीवी लगाए गए। यहां 15 हजार सफाई कर्मी थे। शटल बसें, परिवहन बसें लगाई गई थी। 16 हजार से अधिक ट्रेनें चलाई गईं थी, करीब 4 से 5 करोड़ श्रद्धालुओं को इससे संगम में महाकुंभ के दर्शन के लिए लाया गया। सभी विभागों ने पूरी सामंजस्य के साथ हाथ बंटाया।
महाकुंभ अपने आयोजन की शुरुआत से ही विपक्षियों के टारगेट पर था। अगर उत्तर प्रदेश सीएम योगी की माने तो योगी ने कहा कि – आस्था का इतना बड़ा समागम दुनिया के अंदर कहीं नहीं हुआ। 66 करोड़ 30 लाख लोग किसी आयोजन का हिस्सा बने। कोई अपहरण की घटना नहीं, लूट, छेड़छाड़, दुष्कर्म की घटना नहीं हुई। विरोधी दूरबीन और माक्रोस्कोप लगाकर भी वे इस प्रकार की घटनाएं उजागर नहीं कर पाए। दुष्प्रचार का उन्होंने कोई मौका नहीं छोड़ा। विरोध और विपक्षी लगातार दुष्प्रचार और बदनाम कर रहे थे। कोई कहीं की घटना का दृश्य दिखाकर प्रयागराज को बदनाम कर रखा था। योगी ने मौनी अमावस्या पर हुई दुखद घटना पर दिवंगत परिवारजनों के प्रति संवेदना व्यक्त किया ।
अगर व्यवस्था के नाम पर कोई विपक्षियों का सवाल था तो इसे गलत नहीं माना जा सकता है। विपक्षी पार्टियां सत्ता पक्ष को आइना दिखा सकती है। कोई कहीं की घटना का दृश्य दिखाकर प्रयागराज को बदनाम करना, उसकी आंड़ में कहीं अन्य जगह की घटना को प्रयागराज से जोड़कर दिखाना। एक ही पार्टी के दो सांसदों का विरोधाभासी वयान कि लाशें गंगा में बहा दी गई- लाशें बालू में दवा दी गई।एक अन्य पार्टी के सांसद द्वारा कहना कि एक ट्रक मोबाइल लावारिस पाये गये, मृत्यु कुंभ कहना, फालतू कुंभ, नरक -स्वर्ग की बातें आदि आदि इसकी लम्बी फेहरिस्त हो सकती है पर जनता ने एक सिरे से ऐसे लोगों को खारिज कर साबित कर दिया कि तुम्हारे दुष्प्रचार में नहीं आने वाले।
मोदी ने अपने व्लाग में लिखा है- इतना विशाल आयोजन आसान नहीं था। सीएम योगी की तारीफ करते हुए कहा- उनके नेतृत्व में शासन, प्रशासन और जनता ने मिलकर, इस एकता के महाकुंभ को सफल बनाया। केंद्र हो या राज्य, यहां ना कोई शासक था, ना कोई प्रशासक था, हर कोई श्रद्धा भाव से भरा सेवक था। पीएम मोदी ने अपनी अभिभावक भाव को दिखाते हुए मां गंगा, यमुना और सरस्वती से प्रार्थना की है कि अगर हमारी आराधना में कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा करिएगा। श्रद्धालुओं की सेवा में भी अगर हमसे कुछ कमी रह गई हो, तो जनता का क्षमाप्रार्थी हूं। प्रधानमंत्री मोदी के इस व्लाग पर विपक्षी बौखलाहट में यह बोलने में जुटी है कि इसका मतलब गलतियां हुई है और इसिलिए माफी मांगी जा रही है। पर इतनी सी समझ रखनी चाहिए कि हर एक आयोजन पर परिवार या समाज के मुखिया हाथ जोड़कर इसी तरह की माफी मांगते है, दरअसल हर छोटे बड़े आयोजन में कुछ ना कुछ त्रुटियां रह जाती है। प्रधानमंत्री मोदी का यह शब्द देश के प्रधान की हैसियत से देश भर के सभी आयोजन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दिखाती है।
उत्तर प्रदेश सीएम योगी के आज महाकुंभ के महायज्ञ के पुर्णाहुति पर आयोजन में लगे सभी कर्मियों को सम्मान देना। स्वच्छता कर्मचारियों के साथ भोजन करना। सभी के लिए 10000 का बोनस की घोषणा, कुछ अल्प वेतन कर्मियों की सेलेरी बढाना, पुलिसकर्मियों को सात दिन का अवकाश देना जैसी घोषणा को एक परिवार के अच्छे मुखिया की तरह ही देखा जाना चाहिए। सच्चाई है कि सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े सभी विभागों के अद्भुत सहयोग से ही महाकुंभ सफल रहा। प्रयागराज के लोग भी अभिनंदन के पात्र हैं,जिन्होंने पूरे दो महीने बिना किसी संकोच के इस पूरे आयोजन को अपने घर का आयोजन माना।
140 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले देश में 100 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं में से 66 करोड़ से अधिक लोगों के पवित्र डुबकी । इसमें कोई जात पात का भेदभाव नही। आम लोगों में कौन कौन महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगायी, ये चर्चा का आपसी बिषय जरूर बने। पर नेताओं के महाकुंभ के स्नान पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा लम्बे समय तक चलने वाली है। क्योंकि ये वोटबैंक का मसला हो सकता है। पर तमाम दुष्प्रचार के बावजूद महाकुंभ के सफल आयोजन से योगी विरोधियों और विपक्षियों से काफी आगे निकल गए हैं।