नई दिल्ली: 2030 तक दुनिया में मुस्लिम जनसंख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि होने का अनुमान है। यह वृद्धि मुख्य रूप से उच्च प्रजनन दर, आप्रवासन, और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण होगी, जिससे शिशु मृत्यु दर में कमी आई है।
आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में 2030 तक 79 देशों में दस लाख से अधिक मुस्लिम निवासी होंगे, जो कि आज के 72 देशों की तुलना में एक बड़ा बदलाव होगा। इस अवधि तक, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक रहेगा, जिसमें प्रमुख देशों के तौर पर इंडोनेशिया, पाकिस्तान, भारत, और बांगलादेश शामिल हैं।
विशेष रूप से, पाकिस्तान की मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि के कारण यह देश संभवतः इंडोनेशिया को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम-बहुल देश बन सकता है। इस वृद्धि के प्रमुख कारणों में उच्च प्रजनन दर और यहां की युवा आबादी का मुख्य प्रजनन वर्षों में प्रवेश करना है, जिससे जनसंख्या वृद्धि की गति तेज हो रही है।
यूरोप और अमेरिका में मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि
2030 तक, यूरोप और अमेरिका में भी मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि का अनुमान है। हालांकि, ये क्षेत्र मुस्लिम आबादी के लिए अल्पसंख्यक बने रहेंगे। यूरोप में मुस्लिम जनसंख्या का हिस्सा 2010 में 6 प्रतिशत से बढ़कर 2030 में 8 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है।
भारत और पाकिस्तान में वृद्धि का प्रमुख कारण प्रजनन दर
भारत में भी मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि देखी जाएगी, जो कि मुख्य रूप से उच्च प्रजनन दर और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण होगी। भारत में मुस्लिम आबादी का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ेगा, जिससे 2030 तक यह और अधिक महत्वपूर्ण बन सकता है।
अमेरिका और उप-सहारा अफ्रीका में बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या
अमेरिका में 2030 तक मुस्लिम जनसंख्या में दोगुनी वृद्धि होने की उम्मीद है, जो 2010 के 2.6 मिलियन से बढ़कर 6.2 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। वहीं, उप-सहारा अफ्रीका में भी मुस्लिम जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जहां नाइजीरिया जैसे देशों में मुस्लिम आबादी मिस्र से भी अधिक हो सकती है।
मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण
मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- प्रजनन दर: मुस्लिम आबादी में औसतन प्रति महिला अधिक बच्चे होते हैं।
- आप्रवासन: यूरोप और अमेरिका जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम आप्रवासन की वजह से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है।
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं: मुस्लिम देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और शिशु मृत्यु दर में कमी ने जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
- युवा आबादी: मुस्लिम देशों की युवा आबादी प्रमुख प्रजनन आयु में प्रवेश कर रही है, जिससे वृद्धि में तेज़ी आ रही है।
इस बदलाव के कारण, 2030 तक दुनिया के मुस्लिम समाज में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है, और यह वृद्धि वैश्विक समाज को प्रभावित कर सकती है।