पटना – 15 अप्रैल, 2025: बिहार के नागरिकों को आगामी ग्रीष्म ऋतु में पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। राज्य सरकार ने संभावित जल संकट से निपटने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के माध्यम से एक ठोस और व्यापक कार्ययोजना तैयार की है।
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार सिंह ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि विभाग चापाकलों की मरम्मत और रखरखाव के लिए एक विशेष अभियान चला रहा है। जिन पंचायतों में भू-जल स्तर नीचे चला गया है, वहां राइजर पाइप बढ़ाकर चापाकलों को क्रियाशील बनाए रखने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने आगे बताया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1520 नए चापाकलों के निर्माण की अग्रिम स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके अतिरिक्त, राज्यभर में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप 1,20,749 चापाकलों की मरम्मत का कार्य भी तेजी से शुरू कर दिया गया है। सभी मरम्मत कार्यों की रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जा रही है और जिओ टैग्ड फोटोग्राफ एवं सामाजिक प्रमाणिकरण भी प्राप्त किए जा रहे हैं।
मंत्री नीरज सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अकार्यरत चापाकलों की तत्काल मरम्मत कराई जाए और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में ‘हर घर नल का जल’ संरचनाओं के अतिरिक्त टैंकरों के माध्यम से भी जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। सार्वजनिक स्थलों, विद्यालयों और महादलित टोलों में चापाकलों को प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जा रहा है। भूजल स्तर में संभावित गिरावट को देखते हुए पंचायत स्तर पर जल स्रोतों की स्थिति का दैनिक आकलन किया जा रहा है।
जिन क्षेत्रों में भूजल का स्तर अत्यधिक नीचे चला जाएगा, वहां जलापूर्ति योजनाओं के प्रभावित होने की स्थिति में टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। जल संकटग्रस्त पंचायतों के लिए प्राथमिकता के आधार पर जल वितरण का रूट चार्ट तैयार किया गया है, ताकि किसी भी गांव या टोले में पेयजल की कमी न हो। पूरी व्यवस्था की निगरानी जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष के माध्यम से की जाएगी।
इसके साथ ही, विभाग जल गुणवत्ता को लेकर भी विशेष अभियान चला रहा है। इसके तहत आर्सेनिक, फ्लोराइड या आयरन की मात्रा अधिक पाए जाने वाले जलस्रोतों को लाल रंग से चिह्नित किया जा रहा है। ‘हर घर नल का जल’ योजना के तहत स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को जोड़ने का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है।
गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने की पहल की गई है। राज्य में कुल 261 कैटल ट्रफ (पशु प्याऊ) का निर्माण किया गया है और इनकी क्रियाशीलता सुनिश्चित करने के लिए भौतिक सत्यापन भी किया जा रहा है।
विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने हाल ही में सभी क्षेत्रीय कार्यपालक अभियंताओं के साथ बैठक कर गर्मी के मौसम में संभावित पेयजल संकट से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की है।
इस व्यापक कार्ययोजना के क्रियान्वयन से राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस वर्ष ग्रीष्म ऋतु में प्रदेश के नागरिकों और पशुधन को पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
Santosh Srivastava “Anjaan Jee”