बिहार में सतत जीविकोपार्जन योजना से 95 हजार से अधिक अत्यंत गरीब परिवारों को मिली गरीबी से मुक्ति

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पटना, 8 अप्रैल, 2025: बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सतत् जीविकोपार्जन योजना’ अत्यंत गरीब परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से अब तक राज्य के 95 हजार से अधिक अत्यंत गरीब परिवारों को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकलने में महत्वपूर्ण मदद मिली है। बिहार के ग्रामीण विकास विभाग और जीविका परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में संचालित इस योजना ने इन परिवारों के जीवन में एक नया सवेरा ला दिया है।

इस उल्लेखनीय सफलता का श्रेय जीविका परियोजना को जाता है, जिससे जुड़कर इन परिवारों ने न केवल अपनी आजीविका के लिए आत्मनिर्भरता हासिल की है, बल्कि अत्यंत निर्धनता से भी मुक्ति पाई है।

1,85,122 परिवारों को मिली जीविकोपार्जन अंतराल राशि:

सतत् जीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत अब तक 2 लाख 1 हजार 218 अत्यंत निर्धन परिवारों का चयन किया जा चुका है। इनमें से 1 लाख 85 हजार 122 परिवारों को उनकी आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए जीविकोपार्जन अंतराल राशि प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, 1 लाख 89 हजार 271 परिवारों को एकीकृत परिसंपत्ति, जैसे गाय और बकरी आदि, हस्तांतरित की गई हैं, जिससे उन्हें स्थायी आय का स्रोत मिल सके।

बेहद गरीब परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना है मुख्य लक्ष्य:

इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के बेहद गरीब और पिछड़े वर्ग के परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना है। विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों के परिवारों को इस योजना से प्राथमिकता के आधार पर जोड़ा गया है। ऐसे कई परिवार जो पहले शराब और ताड़ी जैसे कार्यों से जुड़े हुए थे, अब इस योजना के माध्यम से सम्मानजनक और स्थायी आजीविका के रास्ते पर अग्रसर हैं।

योजना के तहत प्रत्येक चयनित परिवार को एक लाख से दो लाख रुपये तक का निवेश सहयोग प्रदान किया जा रहा है। इस वित्तीय सहायता के माध्यम से परिवारों ने पशुपालन जैसे स्थायी व्यवसाय अपनाए हैं, जिससे उनकी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और उनके जीवन में स्थिरता आई है।

ग्रामीण महिलाओं की बढ़ी भागीदारी:

सतत् जीविकोपार्जन योजना का ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। अब ये परिवार अत्यंत गरीबी रेखा से ऊपर उठकर एक सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं। इस योजना का प्रभाव न केवल आर्थिक रूप से दिखाई दे रहा है, बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण बदलाव आया है। ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और वे अब अपने परिवारों और समुदायों से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। ‘सतत् जीविकोपार्जन योजना’ ने यह सिद्ध कर दिया है कि सही नीति, उचित दिशा और आवश्यक सहयोग प्रदान करके किसी भी परिवार के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।


Santosh Srivastava
Editor in Chief and Publisher

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