रांची: झारखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब राज्य का कोई भी अस्पताल किसी भी परिस्थिति में मृत मरीज के शव को बंधक नहीं बना सकेगा। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी उपायुक्तों और सिविल सर्जनों को पत्र जारी कर केंद्र सरकार के निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।
नए नियमों के अनुसार, यदि किसी मरीज की इलाज के दौरान मृत्यु हो जाती है और उसके परिजन तुरंत अस्पताल के बिल का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं, तो भी अस्पताल प्रशासन को शव को रोकना गैरकानूनी होगा।
यह निर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ‘पेशेंट राइट्स एंड रिस्पॉंसिबिलिटी चार्टर’ के अंतर्गत दिए गए हैं, जिसे एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत लागू किया गया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य मरीजों की शिकायतों का निवारण करना और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।
नई गाइडलाइन के मुख्य प्रावधान:
- अस्पतालों को मृत व्यक्तियों के शव को बिना किसी बाधा के और सम्मानपूर्वक उनके परिवार वालों को सौंपना होगा।
- किसी भी कारण से शव को रोकना अब पूरी तरह से अवैध माना जाएगा।
- राज्य के सभी अस्पतालों में ‘पेशेंट राइट्स एंड रिस्पोंंसिबिलिटी चार्टर’ का स्पष्ट प्रदर्शन अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि मरीजों और उनके परिजनों को उनके अधिकारों की जानकारी मिल सके।
Rajesh Mohan Sahay
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