ज्ञान: मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ मित्र, जो अंधकार में भी साथ निभाता है

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सतीश राणा, आरा


पटना, 9 अप्रैल, 2025: जीवन के पथ पर मनुष्य के अनेक साथी और शत्रु मिलते हैं, लेकिन सच्चा और अटूट मित्र केवल “ज्ञान” ही होता है। यह वह प्रकाश है जो घोर अंधकार में भीहमारा मार्गदर्शन करता है, ठीक उसी प्रकार जैसे किसी अपारदर्शी वस्तु के कारण प्रकाश बाधित होने पर भी ज्ञान की रोशनी हमारे भीतर बनी रहती है। जब भौतिक जगत की परछाईं भी हमारा साथ छोड़ देती है, तब ज्ञान ही एक सच्चे दोस्त की तरह हमारा कर्तव्य निभाता है – चाहे हम समाज में हों, देश में हों या किसी परदेस में।

यह सर्वविदित है कि निंदा इस संसार का एक स्वाभाविक नियम है, जो हमें प्रचुर मात्रा में मिलती है। प्रशंसा तो अधिकांश लोग या तो स्वार्थवश करते हैं या किसी मजबूरी के कारण। जिस प्रकार एक मनुष्य के जीवित रहने के लिए सांसों की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार किसी भी रिश्ते को जीवंत रखने के लिए भरोसे की नींव अत्यंत आवश्यक है।

मित्र और विरोधी के स्वभाव में कई मूलभूत अंतर होते हैं। दोस्ती एक बिना शर्त के भरोसे का अटूट बंधन है, जबकि विरोध बिना किसी शर्त के विरोध का भाव है। सच्चे दोस्त हमारे सुख और दुख दोनों में समान रूप से साथ खड़े रहते हैं, जबकि विरोधी केवल हमारे अच्छे समय में ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। दोस्त हमारे बारे में सब कुछ गहराई से जानते हैं, वहीं विरोधी अक्सर हमारे बारे में निराधार अफवाहें फैलाते हैं। एक सच्चा मित्र कभी हमें भावनात्मक या शारीरिक रूप से चोट नहीं पहुंचाता, जबकि विरोधी हमें नुकसान पहुंचाने या कमजोर करने की निरंतर चेष्टा करते हैं। दोस्ती हमारे जीवन में प्रगति और शक्ति का स्रोत बनती है, जबकि विरोध हमारे लिए हानिकारक और हमारी उन्नति में बाधक सिद्ध होता है।

जीवन में जब भी हमारा सामना विरोधियों से होता है, तो अक्सर हमारे सामने अनेक चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ आती हैं। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और संयम बनाए रखना हमें सही समय पर विवेकपूर्ण निर्णय लेने में अमूल्य सहायता प्रदान करता है। बिना सोचे-समझे उठाया गया कोई भी कदम हमारे लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए, हर परिस्थिति में धैर्य और संयम से काम लेना सदैव ही लाभकारी होता है।

हमें अपने सामने आने वाले “विरोध” को सकारात्मक रूप से स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि यही विरोध व्यक्तिगत विकास, नए सहयोगी बनाने और अंततः एक मजबूत और अधिक दृढ़ चरित्र के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सही सिद्धांतों और मूल्यों के लिए विरोधी बनाना आपके साहस और अटूट विश्वास का प्रमाण है, और इसे अपने दृढ़ संकल्प के साथ खड़े रहने की प्रेरणा के रूप में देखना चाहिए।

किसी भी विरोधी की पहचान उसके आचरणों से स्वतः ही प्रकट हो जाती है। वह चाहे कितना भी अपने दुर्भावनापूर्ण इरादों को छिपाने की कोशिश करे, अंततः वे उजागर हो ही जाते हैं। उसका छल, कपट, झूठ और फरेब सब कुछ उसके शारीरिक हावभाव से व्यक्त हो जाता है। आवश्यकता केवल एक पारखी नजर की है, जो सत्य को पहचान सके।

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