संजय कुमार विनीत : बिहार के सीएम नीतीश कुमार गुरूवार को एक खेल समारोह में राष्ट्रगान के दौरान हंसते बोलते पकड़े गए तो सियासी तुफान मच गया। आरजेडी नेताओं ने सीएम नीतीश के व्यवहार को बिहार के लोगों के प्रति अपमानजनक और असम्मानजनक बताते हुए सीएम नितीश की मानसिक और शारीरिक स्थिरता पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री पद पर बने रहने को लेकर चिंता जाहिर की है। ऐसा नहीं है कि सीएम नीतीश ऐसा असमान्य व्यवहार करते पहली बार देखें गये हैं। इससे पहले बिहार में सत्ता और विपक्षी पार्टियां एक दूसरे के लिए विवादित बयान जरूर देते रहे हैं, पर इस असमान्य व्यवहार से अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार को अब रिटायरमेंट ले, किसी सुयोग्य कंधे पर भार सौंप देना चाहिए।
दरअसल,एक वीडियो सोशलमीडिया और टीवी मिडिया में तेजी से वायरल हो रही है। यह गुरुवार को पटना में सेपक टकरा वर्ल्ड कप के उद्घाटन समारोह का बताया जा रहा है। इसके बैकग्राउंड में राष्ट्रगान ‘जन गण मन…’ चल रहा है। इस बीच नीतीश अपने पास खड़े अधिकारी से बात करने लगते हैं। अधिकारी उन्हें टोकते हैं, फिर सीएम हंसकर हाथ जोड़ लेते हैं। आरजेडी के अलावा बिहार कांग्रेस ने भी यह वीडियो शेयर कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाया है। इसपर आरजेडी प्रमुख और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “राष्ट्रगान का अपमान भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। बिहार के लोगों , क्या अब भी कुछ बचा है?”। साथ ही सभी विपक्षी पार्टियां हमलावर है।
पटना स्थित पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सेपक टकराव विश्व कप 2025 का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 21 देशों के 300 खिलाड़ी और सहयोगी स्टाफ हिस्सा ले रहे हैं। जब प्रधान सचिव दीपक कुमार ने उन्हें रोकने की कोशिश की और आगे देखने का आग्रह किया, तो सीएम हंसने लगे और अपने प्रधान सचिव के कंधे पर हाथ रख दिया। उनके बगल में उनके कैबिनेट सहयोगी और जदयू के वरिष्ठ नेता मंत्री विजय कुमार चौधरी खड़े देखे जा सकते हैं। सीएम लगातार दीपक कुमार से बात करते रहे और राष्ट्रगान बजने के दौरान बार-बार उनके कंधे को छूते रहे।
कम से कम यह तीन महीने के अंदर सीएम नीतीश कुमार की दो एक्टिविटी ऐसी रही है, जो नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति को दर्शाता है। यह पहला तो गुरूवार की घटना जो राष्ट्रगान का अपमान कहा जायेगा, जिसपर कानूनी प्रणाली में सजा का भी प्रावधान है। और दूसरी घटना 30 जनवरी को महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि के दौरान, जिसे शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, सीएम नीतीश को राष्ट्रपिता को पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद ताली बजाते हुए देखा गया था। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पैर छूने की कोशिश करने पर भी उनकी आलोचना हुई थी। सीएम नीतीश ने एक कथित ‘लिंगभेदी’ टिप्पणी करके भी विवाद खड़ा कर दिया था कि पहले लड़कियां कपड़े नहीं पहनती थीं।
विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश जातीय-आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पर हुई बहस के बाद सीएम जवाब देते हुए कहा था कि महिला शिक्षित होगी, तो गारंटेड प्रजनन दर कम होगी। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने पति और पत्नी के संबंध और प्रजनन प्रक्रिया का भी जिक्र किया। दरअसल, उनके कहने का मतलब यह था कि पढ़ी-लिखी पत्नी गर्भधारण के अवसरों से बचती है। इसलिए जन्मदर कम हुई है। हालांकि उन्होंने जो बोला, वह शब्दश: यहां लिखा नहीं जा सकता।इससे भी बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। उस वक्त नीतीश आरजेडी के साथ सरकार में थे।
बीजेपी ने सीएम नीतीश के इस वयान का जोरदार विरोध किया था। मध्यप्रदेश के गुना में एक चुनावी जनसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के महिलाओं पर दिए बयान को भद्दा बताते हुए कहा था, ‘घमंडिया गठबंधन के एक बहुत बड़े नेता, जो इनका झंडा लेकर घूम रहे हैं, उन्होंने विधानसभा में माताओं-बहनों की उपस्थिति में ऐसी भद्दी भाषा में बातें कीं, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।उन्हें कोई शर्म नहीं। कितना नीचे गिरेंगे। दुनिया में देश का अपमान करा रहे हैं। ‘इंडी अलायंस का एक भी नेता माताओं-बहनों के भयंकर अपमान के खिलाफ एक शब्द बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ। ऐसा दृष्टिकोण रखने वाले आपका भला कर सकते हैं क्या?’
इसके बाद सीएम नीतीश ने विधानमंडल के अंदर और बाहर कयी बार हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा था कि, ‘मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं माफी मांगता हूं। मैं अपनी खुद निंदा करता हूं। मैं न सिर्फ शर्म कर रहा हूं। जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। मेरा मकसद सिर्फ शिक्षा के बाद जनसंख्या वृद्धि में आ रहे परिवर्तन को बताना था।’ ‘मैं माफी मांगता हूं। मैं अपने शब्दों को वापस लेता हूं, अगर मेरी कोई बात कहना गलत था, मेरी किसी बात से दुख पहुंचा है तो माफी मांगता हूं। अगर मेरे बयान की कोई निंदा कर रहा है, तो हम माफी मांगते हैं। अगर इसके बाद भी कोई मेरी निंदा करता है तो मैं उसका अभिनंदन करता हूं।’ उस वक्त सचमुच नीतीश की मंशा गलत नहीं थे, बस शब्दों का चयन गलत था, जो सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है।
यूँ तो बिहार में नेताओं का विवादित बयान से नाता रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा था कि 𝟏𝟓 दिन में अनेक बार अपनी यात्रा का नाम बदलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब प्रगति नहीं, बल्कि अलविदा यात्रा पर हैं। सीएम नीतीश के इसी प्रगति यात्रा पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वह पहले आंख सेंक लें बाद में सरकार बनाएंगे। ऐसे सैकड़ों वयान हैं, जिनका जमकर विरोध होता रहा है। पर इसबार मामला राष्ट्रगान से जुडा है तो कहा जा सकता है कि जदयू को जवाब देते नहीं बन रहा है।
जदयू के नीरज कुमार ने जोरदार पलटवार कर आरजेडी सुप्रीमो
लालू और राबड़ी देवी पर पुरानी घटनाओं को याद दिलाते हुए कहा कि 15 अगस्त 1997 को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रगान का अपमान किया था। जब देश 50वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तब लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय झंडा उल्टा फहरा दिया था। इस पर लालू प्रसाद यादव के खिलाफ इंदौर में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बिहार में इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। नीरज कुमार ने विधान परिषद् परिसर में एक तस्वीर दिखाई। इसमें राजद सुप्रीमो लालू यादव राष्ट्रगान के वक्त बैठे हुए थे। नीरज कुमार ने कहा कि राष्ट्रवाद का प्रमाण पत्र देने वाले आरजेडी के नेताओं को अपने इतिहास को याद करना चाहिए। यह तस्वीर 2002 की है, जब मार्च फास्ट चल रहा था और उस वक्त आरजेडी की नेता और मुख्यमंत्री राबड़ी देवी राष्ट्रीय गान के दौरान कुर्सी पर बैठी रही थीं।
ऐसा नहीं है कि सीएम नितीश कुमार ऐसा आदतन करते रहे हैं। राष्ट्र के प्रति उनके सम्मान को कभी कम कर आंका नहीं जा सकता है और ना ही प्रदेश में उनके द्वारा किये गए कार्यों को भुलाया जा सकता है। निसंदेह, बिहार को जो सीएम रहते नीतीश ने गति दी है, वे काबिलेतारीफ है। हलांकि, इनसे उम्रदराज कयी राजनेता मजे से अपने काम कर रहे हैं। नीतीश अब 75 के हो चुकें हैं। बड़े बुजुर्ग को भारतीय समाज में सम्मान देने की परंपरा रही है। नीतीश अपने राजनीतिक और प्रशासनिक निर्णयों के लिए हमेशा जानेजाते रहे हैं। बिहार में विकासपुरुष के रूप में भी जाना जाता है। पर अब क्या जरूरत आन पड़ी है कि नीतीश अपने भार को किसी सुयोग्य कंधे पर देकर राजनीतिक सलाहकार के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करें, इसपर विचार करने का भी वक्त आ गया सा लगता है।