क्या नेपाल में एक बार फिर राजशाही की वापसी होगी?

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अंजान जी : नेपाल में 2008 में लोकतंत्र की स्थापना के बाद से राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट ने देश के समक्ष कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। 28 मार्च 2025 को एक बार फिर नेपाल की सड़कों पर हजारों की संख्या में लोग उतरे और ‘राजा आओ, देश बचाओ’ के नारे लगाए। यह प्रदर्शन विशेष रूप से उन नागरिकों का था, जो नेपाल के राजशाही के पुनर्निर्माण की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि लोकतंत्र के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ गया है, और इससे आर्थिक विकास और सामाजिक संरचना पर बुरा असर पड़ा है। ऐसे में क्या नेपाल में फिर से राजशाही की वापसी हो सकती है? यह सवाल आजकल काफी चर्चा में है।

राजशाही के बाद क्या हुआ?

नेपाल में 2008 तक राजशाही का शासन था, लेकिन उस वर्ष 239 वर्षों पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया गया और नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। इसके साथ ही नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का दर्जा भी मिला। इसके बाद से नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हुआ। कई सरकारें बनीं, लेकिन कोई भी सरकार लंबे समय तक सत्ता में नहीं रह सकी। 10 प्रधानमंत्री बदले और भ्रष्टाचार और राजनीतिक संकट लगातार बने रहे। यही कारण है कि जनता अब यह महसूस करने लगी है कि राजशाही के समय की स्थिरता और व्यवस्था कहीं अधिक प्रभावी थी।

राजशाही की वापसी की मांग क्यों उठ रही है?

नेपाल में युवाओं और आम नागरिकों में बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी जैसी समस्याओं ने गहरी निराशा पैदा की है। लोकतांत्रिक सरकारें इन समस्याओं से निपटने में विफल रही हैं। इससे राजनीतिक असंतोष बढ़ा है और अब लोग एक मजबूत और स्थिर शासन व्यवस्था की ओर देख रहे हैं। इसके अलावा, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि नेपाल में राजशाही के दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता बनी हुई थी, जो अब लुप्त हो गई है।

राजतंत्र के समर्थकों का बढ़ता समर्थन

हाल ही में, नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरों के साथ प्रदर्शन होते हुए देखे गए, जो अब भी उन लोगों के लिए एक प्रतीक बने हुए हैं, जो राजशाही की वापसी चाहते हैं। उनके समर्थक यह दावा कर रहे हैं कि नेपाल में यदि राजतंत्र की वापसी हो, तो देश को एक स्थिर शासन और आर्थिक पुनर्निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।

वर्तमान स्थिति और भविष्य

आज के नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में एक ओर राजनीतिक संकट का सामना किया जा रहा है। इसके साथ ही नेपाल की सड़कों पर हो रही हिंसक घटनाओं से यह साफ संकेत मिलता है कि देश में गुस्से और असंतोष का स्तर बढ़ता जा रहा है। यदि यही स्थिति जारी रहती है, तो राजशाही की वापसी की मांग को और अधिक समर्थन मिल सकता है। हालांकि, यह भी सच है कि राजशाही के खिलाफ एक बड़ा विरोध भी मौजूद है, और लोकतांत्रिक संस्थाएं इसकी वापसी को लेकर सतर्क हैं।

नेपाल में राजशाही की वापसी का सवाल केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक गहरी असंतोष की भावना को भी प्रकट करता है। बेरोजगारी, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता ने लोगों को इस सोच की ओर अग्रसर किया है कि शायद एक मजबूत राजतंत्र ही देश की समस्याओं का हल हो सकता है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि राजशाही की वापसी हो पाएगी या नहीं, लेकिन यह स्पष्ट है कि नेपाल को अपनी राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कुछ न कुछ बड़ा कदम उठाना होगा।

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