स्वाभाविक डिपोर्ट फिर हंगामा है क्यूं बरपा

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अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों का निर्वासन गलत नहीं है, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र संधि के तहत होता है और यह पहले से चल रहा है। अवैध प्रवास को रोकने के लिए यह जरूरी है, हालांकि अमानवीय तरीके से निर्वासन मानवाधिकार का उल्लंघन हो सकता है। अमेरिका में यह प्रक्रिया तेजी से जारी है, खासकर डोनाल्ड ट्रंप के शासन में। विपक्ष द्वारा हंगामा किए जाने पर विनीत ने इस प्रक्रिया को अमेरिका की नीति के अनुरूप बताया। इसके साथ ही, मानव तस्करी पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि अवैध प्रवास को रोका जा सके।

संजय विनीत : अवैध भारतीय प्रवासियों के अमेरिका से निर्वासित किये जाने को कभी भी गलत नहीं कहा जा सकता है। या फिर किसी भी देश से अवैध प्रवासी का निर्वासन गलत नहीं है। विपक्षी पार्टियां भले ही इसपर हंगामा मचाये, सदन की कार्यवाही को बाधित करे पर यह संयुक्त राष्ट्र संधि के तहत ही है और पहले से ही ऐसा होता आ रहा है। अवैध प्रवास को रोकने के लिए और कानूनी प्रवास को बढावा देने के लिए भी हर देश के लिए ये हितकारी है। पर हां, अमानवीय तरीके से निर्वासित किया जाना मानवाधिकार का उलंघन हो सकता है और इससे भी कहीं ज्यादा वैसी एजेंसियों का समूल नाश करना जरूरी है जो अवैध रूप से मानव तस्करी कर लोभ लालच देकर विदेश भेजने का काम करते हैं।

अमेरिका से अवैध प्रवासी भारतीयों की वापसी की प्रक्रिया कोई नई नहीं है। पहले भी अवैध प्रवासी भारतीयों को अमेरिका इसी तरह से भेजता रहा है। अमेरिकी नियमों के मुताबिक ही यह कार्रवाई हुई है अवैध प्रवासियों पर अमेरिका ऐसे ही कार्रवाई करता रहा है और डोनाल्ड ट्रंप के पुनः राष्ट्रपति बनने पर इसमें तेजी आयी है ‌और तेजी की संभावना भी है। पहले भी इस तरह से ही अमेरिका से लोग वापस भेजे जातें रहें हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने भी सदन में हंगामे के बीच इस प्रक्रिया को अमेरिका की नीतियों के अनुरूप बताया और 2012 से अबतक निर्वासित प्रवासियों के आंकड़े भी दिये।

इसलिए, इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरना और सदन की कार्यवाही को बाधित किया जाना कदापि उचित नहीं ठहराया जा सकता है। हाँ, अवैध पुरुष अप्रवासी को हथकड़ी के साथ सैन्य विमान से लाये जाने पर सवाल उठाया जाना चाहिए। इन्हें बगैर हथकड़ी और नियमित विमान से भेजा जाना चाहिए था। ये मानवाधिकार उलंघन की श्रेणी में आ सकता है। पर अमेरिका सिर्फ इस बार नहीं 2012 से ही ऐसे ही तरीके से अवैध अप्रवासियों को अन्य देशों में भेजता रहा है। पर यह थोड़ा अमानवीय भी प्रतीत होता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बारे में अपने समकक्ष से बात कर कोई हल निकालने की बात सदन में तो कहा है। शायद कोई हल निकले। क्योंकि ये प्रक्रिया अभी लम्बे समय तक चलना है, क्योंकि अवैध भारतीय अप्रवासियों की संख्या लाखों में कही जा रही है।

कोई भी देश अवैध प्रवासियों को बर्दाश्त नहीं करना चाहते। हम भी अपने देश में कभी ऐसा नहीं चाहते। हम भी अपने देश से अवैध प्रवासियों को निर्वासित करते आ रहें हैं, इसमें भी अब खासकर बंगलादेशियों को लेकर तेजी आने की प्रवल संभावना है। यह सभी देशों का दायित्व होता है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो उन्हें वापस ले लिया जाए। लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वापस लौटने वाले निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो‌।

अमेरिका से निर्वासित कर भारत भेजे गए 104 अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर सड़क से संसद तक घमासान मचा हुआ है। विपक्षी सांसद हथकड़ियां पहनकर इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच कई विपक्षी सांसदों द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती का जिक्र कर घटना की निंदा की जा रही है। पर इससे ज्यादा जरूरी विचार विमर्श के साथ ऐसे मानव तस्करों पर कार्रवाई के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। क्योंकि ये एजेंसियां लाखो ठग कर लोभ लालच देकर डंकी रूट से अन्य देशों में दाखिल कराकर दलदल में ठकेल देते हैं। अधिकांश लोग बहुत अच्छी कमाई के लालच में अपना सबकुछ लुटाकर वहाँ पहुँच तो जाते हैं पर अवैध कार्यों में लिप्त हो जाते हैं। वैसी स्थिति में भी उनपर उन देशों के कानून के अनुसार कानूनी कार्रवाई होती है।

फिलहाल, अब ये सभी निर्वासित अवैध भारतीय अप्रवासियों से तमाम जानकारियां इकठ्ठी कर मानव तस्करी एजेंट और एजेंसियों को पहचान कर कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि लोग इनके चुंगल से बच सके। सत्ताधारी और विपक्षी दलों को मिलजुल कर यह कदम उठाने चाहिए, ताकि कयी परिवार बर्बाद होने से बची रह सके और देश की सम्मान भी बढ पाये।

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