“रक्षा में आत्मनिर्भरता की मिसाल: मिसाइल टेक्नोलॉजी में डॉ. सुनीता देवी जेना का योगदान”

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नई दिल्ली, 25 जनवरी 2025: रिपब्लिक डे परेड में भारत की रक्षा क्षमताओं की झलक तो हर किसी ने देखी, लेकिन इन मिसाइल्स के पीछे छिपी मेहनत और प्रतिभा को जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आज हम एक ऐसी प्रेरणादायक वैज्ञानिक, डॉ. सुनीता देवी जेना, की कहानी साझा कर रहे हैं, जिनका नाम भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के इतिहास में गर्व से लिखा जाएगा।

डॉ. सुनीता देवी जेना 1991 से DRDO से जुड़ी हुई हैं और भारतीय रक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने में उनका योगदान अतुलनीय है। उन्होंने आकाश, नाग और K-15 जैसी उन्नत मिसाइल प्रणालियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन प्रणालियों ने भारतीय सेना को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

स्वदेशी तकनीक में नेतृत्व
डॉ. जेना वर्तमान में लिक्विड फ्यूल रामजेट टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट की प्रमुख हैं, जो भारत को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद कर रहा है। उनकी अगुवाई में इस स्वदेशी तकनीक का विकास हुआ, जो रक्षा क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों तक ले गया है।

व्यक्तिगत प्रेरणा और समर्पण
डॉ. जेना के पिता DRDL में वैज्ञानिक थे और उनके पति भारतीय सेना में ऑफिसर रहे। इसी माहौल ने उन्हें बचपन से ही देश की सुरक्षा के लिए कुछ बड़ा करने की प्रेरणा दी। उनकी मेहनत और समर्पण का सम्मान 2017 में ‘साइंटिस्ट ऑफ द ईयर’ पुरस्कार से किया गया।

भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना
डॉ. सुनीता जेना का मानना है कि “भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर वैज्ञानिक का योगदान जरूरी है। हम नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं, जो आने वाले समय में देश की सुरक्षा को और मजबूत बनाएंगे।”

रिपब्लिक डे के इस खास अवसर पर, यह आवश्यक है कि हम न केवल अपनी रक्षा प्रणाली पर गर्व करें, बल्कि उनके पीछे कार्यरत वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत और लगन को भी पहचानें।

डॉ. सुनीता जेना जैसी महान प्रतिभाओं के योगदान के लिए हमारा प्रणाम!

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