Anjaan Jee :
Editor in Chief & Publisher
बिहार में शराबबंदी एक महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी कदम रहा है, जिसने राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला है। बिहार सरकार द्वारा अप्रैल 2016 में शुरू किया गया यह अभियान, जिसमें 2025 तक की प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया गया है, दिखाता है कि इस नीति को लागू करना कितना चुनौतीपूर्ण है।
मद्य निषेध इकाई द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 तक राज्य में 5,90,341 लीटर शराब जब्त की गई। इसमें 12,515 लीटर देसी, 5,74,526 लीटर विदेशी और 33,281 लीटर स्प्रिट शामिल है। यह आँकड़ा बताता है कि भले ही शराबबंदी कानून लागू है, फिर भी अवैध तस्करी और उत्पादन एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
अंतर्राज्यीय तस्करी और अपराधियों पर शिकंजा
शराबबंदी को सफल बनाने के लिए, सिर्फ राज्य के भीतर ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी अभियान चलाना पड़ रहा है। विशेष अभियान दल (SOG) ने सितंबर 2025 तक झारखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में 27 ऑपरेशन चलाए, जिसमें बड़े वाहनों और भारी मात्रा में शराब की बरामदगी की गई। इससे पता चलता है कि बिहार में शराब तस्करी का एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा है।
अपराधियों पर नकेल कसने के लिए भी सख्त कदम उठाए गए हैं। अगस्त 2025 तक बड़ी संख्या में गिरफ्तारियाँ की गई हैं। इसके अलावा, 14,083 लोगों के नाम गुंडा पंजी में दर्ज किए गए हैं, और शराब से अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने वाले 240 लोगों की पहचान की गई है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
शराबबंदी की सफलता में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। पड़ोसी राज्यों से तस्करी एक प्रमुख समस्या है, जिसके कारण सीमावर्ती जिलों में चेक पोस्ट को मजबूत करना पड़ा है। नेपाल सीमा पर भी तस्करों पर लगाम लगाने के लिए कई बैठकें हुई हैं।
इसके अलावा, जहरीली शराब की घटनाओं को रोकने के लिए स्प्रिट के कारोबार पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जब्त की गई शराब का समय पर विनष्टीकरण हो, क्योंकि कई थानों में अभी भी भारी मात्रा में शराब लंबित पड़ी है।
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, शराब के अवैध कारोबार पर नियंत्रण और भी महत्वपूर्ण हो गया है। सरकार को इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत और बहु-आयामी रणनीति अपनानी होगी। यह सिर्फ कानून लागू करने का मामला नहीं है, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने और लोगों को इस अभियान से जोड़ने का भी है।
कुल मिलाकर, बिहार का यह मद्य निषेध अभियान एक जटिल प्रक्रिया है। यद्यपि इसमें सराहनीय प्रयास किए गए हैं, फिर भी अवैध कारोबार को पूरी तरह खत्म करने के लिए निरंतर सतर्कता, अंतर्राज्यीय सहयोग और सख्त कार्यान्वयन की आवश्यकता होगी।