आधी आबादी पर नजर, आसान होगी चुनावी डगर

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संजय कुमार बिनीत : राजनीतिक विश्लेषक

पटना, 26 सितम्बर, 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के बीच सत्ता पक्ष ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में चुनावी तारीखों की घोषणा की संभावना के बीच शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संयुक्त रूप से ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत बिहार की 75 लाख महिलाओं के बैंक खातों में एक क्लिक में 10-10 हजार रुपये की पहली किस्त ट्रांसफर की गई, जिससे राज्य की आधी आबादी तक सीधे 7500 करोड़ रुपये पहुंचाए गए।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल संबोधन में महिलाओं को संदेश देते हुए कहा, “आपके दो भाई नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार हमेशा आपकी सेवा में हाजिर हैं। बहनों की खुशहाली ही भाइयों की असली खुशी है।” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जिन महिलाओं का कामकाज अच्छा रहेगा, उन्हें 2 लाख रुपये तक अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।

इस योजना के तहत हर लाभार्थी महिला के खाते में 10 हजार रुपये की पहली किस्त दी गई है। साथ ही, बेहतर प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त मदद का प्रावधान है। योजना में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से प्रशिक्षण, उद्यमिता को प्रोत्साहन, ग्रामीण बाजारों का विस्तार और छोटे व्यवसायों को मार्केट कनेक्ट जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं।

राजनीतिक दृष्टि से यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है। बिहार में महिलाओं की भूमिका पिछले दो चुनावों से निर्णायक रही है। राज्य की मतदाता आबादी का लगभग 48 प्रतिशत हिस्सा महिलाएं हैं, और 2020 के चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा था। महिलाओं का वोट प्रतिशत 63% जबकि पुरुषों का 55% था। विश्लेषकों का मानना है कि महिलाओं ने बीते चुनावों में एनडीए और खासकर नीतीश कुमार पर अधिक भरोसा जताया था। यही वजह है कि इस बार भी महिला वोट बैंक को साधना सरकार की प्रमुख रणनीति बन गई है।

चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खातों में सीधे नकद राशि ट्रांसफर करना केवल कल्याणकारी कदम नहीं, बल्कि सटीक चुनावी रणनीति भी माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को खुश करना पूरे परिवार को प्रभावित करता है, जो किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। विपक्षी दल इसे चुनावी लालच बताकर आलोचना कर सकते हैं, लेकिन महिलाओं तक सीधे पहुंची यह मदद उनके लिए एक नई चुनौती खड़ी कर रही है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से महिलाओं के सशक्तिकरण को अपनी नीतियों का केंद्र बना चुके हैं। पंचायत में 50% आरक्षण, नौकरियों में आरक्षण, साइकिल योजना, पोशाक योजना, ग्रेजुएशन तक 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि, शराबबंदी, विधवा पेंशन और रोजगार में अवसर जैसी योजनाओं ने नीतीश सरकार को महिला समर्थक छवि दी है।

वहीं विपक्ष भी महिलाओं को अपने पक्ष में लाने के लिए वादों की झड़ी लगा रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ‘माई बहिन योजना’ के तहत 70 हजार करोड़ रुपये की सौगात का वादा किया है, जिसमें हर महिला को 2500 रुपये की सहायता, 500 रुपये में गैस सिलेंडर और 1500 रुपये की विधवा पेंशन शामिल है।

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि नवरात्र के शुभ अवसर पर लॉन्च की गई यह योजना न केवल आर्थिक मदद का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं के आत्मसम्मान और राजनीतिक सहभागिता को सशक्त करने का बड़ा संदेश भी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह योजना वास्तव में महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनने की राह पर आगे बढ़ाती है या चुनावी रणनीति के रूप में ही सीमित रह जाती है।