कृषि प्रौद्योगिकी और सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों की आय और उत्पादकता में सुधार

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सरकार ने कृषि प्रौद्योगिकी को उन्नत करने के लिए डिजिटल कृषि मिशन, उर्वरक प्रबंधन, पशुपालन, और जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। किसान उत्पादक संगठनों, ऑनलाइन प्लेटफार्मों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को लाभकारी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

नीरज दयाल : सरकार ने उत्पादकता, स्थिरता और किसानों की आय को सुधारने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी को उन्नत करने के लिए कई प्रमुख योजनाओं की शुरुआत की है। डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन एक प्रमुख पहल है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), बिग डेटा और भू-स्थानिक डेटा जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर फसल निगरानी, मृदा प्रबंधन और मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने पिछले दस वर्षों में 2900 किस्में विकसित की हैं, जिनमें से 2661 किस्में एक या अधिक जैविक और/या अजैविक दबावों के प्रति सहनशील हैं। कृषि उत्पादन और बाद के उत्पादन के लिए लगभग 156 प्रौद्योगिकियाँ/मशीनें/प्रक्रिया प्रोटोकॉल विकसित किए गए हैं। पशु, मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित प्रौद्योगिकियों का भी विकास किया गया है, जो पशु, मत्स्य पालन, एक्वाकल्चर, पशु और मछली स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से हैं। नई विकसित प्रौद्योगिकियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और प्रचार के लिए, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और राज्य कृषि विश्वविद्यालय (SAU) प्रशिक्षण, क्षेत्रीय स्तर पर प्रदर्शनी, किसानों की बैठकें, कौशल विकास कार्यक्रम आदि आयोजित करते हैं, ताकि छोटे और सीमांत किसानों तथा अन्य हितधारकों के बीच कृषि को अधिक प्रभावी और लाभकारी बनाया जा सके।

सरकार ने कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों की शुरुआत की है, जैसे ई-नाम, किसान रेल और किसान उड्डान, जो लॉजिस्टिक्स में सुधार लाती हैं। किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को बढ़ावा देने का उद्देश्य बिचौलियों को कम करना और किसानों के लिए बाजार तक पहुंच को मजबूत करना है। इसके अतिरिक्त, कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे AGRI-बाजार किसानों को सीधे खरीदारों से जोड़ने में मदद करते हैं, जिससे बेहतर मूल्य निर्धारण और बढ़ी हुई आय सुनिश्चित होती है।

ICAR मृदा परीक्षण आधारित संतुलित और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन की सिफारिश करता है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग और मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए रासायनिक और जैविक स्रोतों (खाद, बायोफर्टिलाइज़र आदि) का संयुक्त उपयोग शामिल है। इन सभी उपायों से देश में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होता है। इसके अतिरिक्त, ICAR विभिन्न फसलों के लिए जल की विवेकपूर्ण उपयोग के लिए कुशल सिंचाई तकनीकों, जिसमें सूक्ष्म सिंचाई भी शामिल है, का सुझाव देता है, ताकि सिंचाई जल की बचत की जा सके।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भी मृदा के अनुरूप उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देती है, ताकि अपव्यय कम हो और उत्पादकता बढ़े। इसके अलावा, सरकार राज्य सरकारों को ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (PDMC) योजना के तहत जल उपयोग दक्षता को सुधारने, लागत को घटाने और कृषि आय को बढ़ाने में मदद करती है। सरकार ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना को बढ़ावा दिया है, जो मूल्य संवर्धन प्रसंस्करण को बढ़ावा देती है, कृषि उत्पादों की शेल्फ-लाइफ को सुधारती है, और किसानों को कृषि उद्योगों से जोड़ती है।

यह जानकारी कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भगीरथ चौधरी ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में दी।

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