बिहार में खाकी पर बढती हमलों से आम आदमी में दहशत

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संजय कुमार विनीत : बिहार में पुलिस बल पर बढती हमलों की घटनाओं से जहाँ एक ओर आम आदमी दहशत में है, वहीं विपक्षी पार्टियों को कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर सवाल करने का बैठे बैठाये मौका मिल गया है। पहले अररिया में छापेमारी करने गई पुलिस टीम में शामिल एक एएसआई की मौत, फिर मुंगेर में आपसी विवाद सुलझाने गई पुलिस अधिकारी की हत्या और अब पटना, भागलपुर और नवादा में पुलिस टीम पर हमलों से सुशासन बाबू पर जमकर सवाल उठाने का मौका दे दिया है। अच्छे कानून व्यवस्था, सुशासन पर नाज करने वाली सरकार पर अब आम नागरिक भी सवाल उठाते देखें जा रहे हैं।

किसी राज्य की कानून व्यवस्था उस राज्य के मुस्तैद पुलिस पर निर्भर करती है। और अगर किसी राज्य में यही पुलिस मरते, पीटाई खाते और जान बचाकर भागती नजर आये तो आम लोगों का विश्वास पुलिस बल पर कम हो जाता है। और जो सरकार अच्छे कानून व्यवस्था के नाम पर चल रही हो, उसपर विरोधियों को भी हमला करने का मौका मिल जाता है। बिहार में पुलिस पर लगातार हो रहे हमले को लेकर राजनीति भी तेज है और विपक्षी पार्टियां सुशासन सरकार में कानून-व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े कर रही हैं।

महज पांच दिनों में बिहार के कयी जिलों से पुलिस पर हमले के ऐसे समाचार आये हैं, जो जनमानस को झकझोर देने के लिए काफी है। इन घटनाओं में बिहार ने दो एएसआई को खोया है, और कयी पुलिसकर्मी घायल हो इलाजरत हैं। सबसे पहले अररिया में एक तस्कर को गिरफ्तार कर ला रही छापेमारी करने गई पुलिस टीम में शामिल एक एएसआई की मौत, फिर मुंगेर में आपसी विवाद सुलझाने गई एएसआई की हत्या से पुरा बिहार स्तब्ध था ही, उसके बाद पटना, नवादा और भागलपुर में पुलिस पर हमले ने तो पुरे बिहार को झकझोर कर रख दिया।

बिहार में पुलिस पर हो रहे हमले यह बताते हैं कि राज्य में अपराधियों का मनोबल लगातार बढ़ रहा है,वहीं दूसरी ओर पुलिस का इकबाल भी घटता जा रहा है। बिहार में पुलिस पर लगातार हो रहे इन हमलों ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस पर लगातार हो रहे इन हमलों पर विपक्षी दलों को भी राज्य सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है।

बिहार में पुलिस पर हो रहे हमलों के साथ-साथ बढ़ती आपराधिक घटनाओं पर राजद ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है।अलग-अलग जिलों में हुए हिंसक घटनाओं की जानकारी देते हुए राजद ने सोशल मीडिया मंच पर लिखा है- सत्ता संरक्षित अपराधियों द्वारा अररिया, मुंगेर में ASI की हत्या. भागलपुर, नवादा और पटना में पुलिस पर हमला. SI समेत पुलिसकर्मी घायल। CM नीतीश अचेत, बेसुध और लाचार। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार अचेत हैं।उनसे गृह विभाग भी नहीं संभल रहा है। 𝟐𝟎 साल से इनकी सरकार है अब इस ध्वस्त कानून व्यवस्था का दोष किसे देंगे? नीतीश कुमार के कार्यकाल में सर्वाधिक पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की हत्या हुई है। इनके 𝟐𝟎 वर्षों में 𝟔𝟎 हजार से अधिक नागरिकों की हत्या हुई है। ये वो आँकड़े है जो 𝐍𝐂𝐑𝐁 द्वारा रिपोर्टेड है।

पुलिस पर हो रहे हमलों से बिहार में अपराधियों से निपटने के लिए यूपी मॉडल की चर्चाएं भी अब तेज हो गई है और मंत्री नीरज बबलू ने कहा कि ऐसे अपराधियों का एनकाउंटर कर देना चाहिए। डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने भी कहा है कि पुलिस टीम को इसकी पुरी छुट है। मुगेंर में एएसआई के हत्यारे की गिरफ्तारी कर ले जा रही पुलिस बल की गाड़ी जब पेड़ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गयी थी तो हत्यारे के भागने के क्रम में पुलिस ने एनकाउंटर कर उसके पैर पर गोली मार दी थी।

सत्ताधारी पार्टी का मानना है कि अपराधियों पर हो रही कारवाई से सभी अपराधी बिलबिला रहे हैं और यही कारण है कि वे पुलिस पर हमले तक के लिए उतारू हैं। वहीं विपक्षी पार्टियां जमकर अपराधी को बढ़ावा देने के आरोप लगा रही है और इसे महाजंगलराज कह नीतीश सरकार को घेर रही है। आम नागरिक भी लगातार हो रही ऐसी घटनाओं को लेकर दहशत में है। सरकार को जल्द से जल्द पुलिस पर लोगों के खोये विश्वास को वापस लाना होगा, अन्यथा सुशासन बाबू की सरकार पर प्रश्न उठाये जाते रहेंगे।

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