डीपीएस बोकारो की तीन शिक्षिकाओं को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया

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Anjaan Jee : Editor in Chief & Publisher

बोकारो, 24 सितम्बर, 2025 : शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और नेतृत्व के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) बोकारो की तीन वरिष्ठ शिक्षिकाओं को नई दिल्ली में आयोजित इंडियाज एजुकेशन समिट में प्रतिष्ठित सेंटर फॉर एजुकेशनल डेवलपमेंट (सीईडी) नेशनल टीचर अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में विद्यालय की उप प्राचार्या शालिनी शर्मा, प्रधानाध्यापिका प्रीति सिन्हा और पर्यवेक्षिका निमिषा रानी शामिल हैं।

एमएसएमई और नीति आयोग, भारत सरकार से संबद्ध सीईडी फाउंडेशन की ओर से इस वर्ष देशभर से आए 2400 आवेदनों में से केवल 60 शिक्षकों का चयन किया गया। खास बात यह रही कि पूरे झारखंड से केवल डीपीएस बोकारो की इन तीन शिक्षिकाओं ने यह गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की। चयन प्रक्रिया में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, अभिनव शिक्षण पद्धतियां और सतत विकास लक्ष्यों के प्रति दृष्टिकोण जैसे पहलुओं का गहन मूल्यांकन किया गया।

कार्यक्रम में शिक्षा जगत की कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं। मुख्य अतिथि के रूप में आलोक कुमार मिश्रा (संयुक्त सचिव, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज, नई दिल्ली) उपस्थित थे। साथ ही गणमान्य अतिथियों में जी. बालासुब्रमण्यम (पूर्व निदेशक अकादमिक, सीबीएसई), प्रो. चंद्रशेखर (एम्स, नई दिल्ली), जोसेफ इमैनुएल (मुख्य कार्यकारी एवं सचिव, सीआईएससीई), तथा प्रियदर्शी नायक (चेयरमैन, सीईडी फाउंडेशन, नोएडा) शामिल रहे।

सम्मान प्राप्त कर लौटने के बाद बुधवार को विद्यालय में प्राचार्य ए. एस. गंगवार ने तीनों शिक्षिकाओं को बधाई दी और प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि यह विद्यालय के लिए गर्व का क्षण है। विद्यालय परिवार की मेहनत, समर्पण और नवाचार का यह सम्मान प्रमाण है, जो विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों के लिए प्रेरणादायक है।

इस अवसर पर सम्मानित शिक्षिकाओं ने विद्यालय परिवार और प्राचार्य गंगवार के मार्गदर्शन के प्रति आभार व्यक्त किया। संस्कृत विषय की पारंगत शालिनी शर्मा 29 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। अंग्रेजी विषय की प्रीति सिन्हा वर्ष 2004 से अध्यापन में सक्रिय हैं, जबकि सामाजिक विज्ञान की अध्यापिका निमिषा रानी को 15 वर्षों से अधिक का शिक्षण अनुभव है। झारखंड से मिली यह एकमात्र उपलब्धि विद्यालय के लिए गौरव की बड़ी वजह बनी।

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