पटना, 21 अगस्त 2025 — बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने अपनी योजनाओं के डिजिटल संचालन और निगरानी के लिए आज एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। यह बैठक विभाग के सभागार में दोपहर 12 बजे हुई, जिसकी अध्यक्षता विभाग के सचिव मो. सोहेल ने की। इसका मुख्य उद्देश्य विभाग की विभिन्न योजनाओं को पोर्टल-आधारित प्रणाली से जोड़कर उनमें पारदर्शिता और सुगमता लाना है।
बैठक में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के अधिकारियों के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर चर्चा की गई। इनमें मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना, अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालयों में नामांकन प्रणाली, मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक छात्रावास अनुदान योजना और अल्पसंख्यक मुस्लिम परित्यक्ता/तलाकशुदा महिला सहायता योजना शामिल हैं।
योजनाओं में पारदर्शिता और सरलता पर जोर
बैठक में इन सभी योजनाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मजबूती से लागू करने का निर्णय लिया गया। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लाभार्थियों तक सीधे डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर), पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम) या अन्य माध्यमों से लाभ पहुँचे। इसके लिए एक नया पोर्टल विकसित करने का निर्देश दिया गया।
बैठक के दौरान एक तकनीकी समस्या पर भी गंभीरता से विचार किया गया, जिसमें अल्पसंख्यक छात्रावासों की ऑनलाइन नामांकन प्रक्रिया के दौरान छात्रों को उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर या ई-मेल पर यूजर आईडी और पासवर्ड नहीं मिल पा रहे थे। सचिव ने एनआईसी को इस समस्या का तुरंत समाधान करने के निर्देश दिए।
सचिव मो. सोहेल ने कहा कि पात्र लाभार्थियों तक बिना किसी देरी के योजनाओं का लाभ पहुँचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पारदर्शिता, जवाबदेही और सरलता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रणाली का अधिकतम उपयोग किया जाना सबसे अच्छा तरीका है।
तकनीकी विकास और भविष्य की राह
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधीन सभी आवासीय विद्यालयों, छात्रावासों, प्रोत्साहन योजनाओं और परित्यक्ता महिलाओं के लिए सहायता योजनाओं को एनआईसी द्वारा तैयार किए जाने वाले डीबीटी पोर्टल से जोड़ा जाएगा। इससे सभी योजनाएं तकनीक-आधारित, उपयोगकर्ता-अनुकूल और पारदर्शी बन जाएंगी, ताकि सही लाभार्थियों को बिना किसी रुकावट के समय पर लाभ मिल सके।
Anjaan Jee
Editor in Chief & Publisher