बिहार में सड़क क्रांति से विकास को नई रफ्तार

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Anjaan Jee : Editor in Chief & Publisher

पटना, 26 सितम्बर 2025: बिहार ने पिछले दो दशकों में ग्रामीण सड़कों के निर्माण में अभूतपूर्व प्रगति की है। सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने की दिशा में ग्रामीण सड़कों ने न केवल राज्य की विकास यात्रा को गति दी है, बल्कि गांव-गांव को जोड़कर सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का मार्ग भी प्रशस्त किया है। ग्रामीण कार्य विभाग के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में राज्यभर में 1 लाख 19 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही 2,560 पुलों का भी निर्माण पूरा हुआ है, जिससे 1 लाख 20 हजार से अधिक बसावटों को सालभर सुगम सड़क संपर्क मिला है।

विगत दो दशकों में बिहार का ग्रामीण सड़क नेटवर्क 8,000 किलोमीटर से बढ़कर 1,19,000 किलोमीटर से भी अधिक हो गया है। इस सड़क क्रांति ने राज्य के सुदूर गांवों और शहरों के बीच की दूरी घटाई है, वहीं गांवों के बीच भी सुगम यातायात व्यवस्था सुनिश्चित की है। अब ग्रामीण आबादी को शिक्षा, स्वास्थ्य, बाजार और रोजगार के अवसरों तक आसानी से पहुंच प्राप्त हो रही है।

ग्रामीण पथ अनुरक्षण नीति 2018 के तहत राज्यभर में 36,894 किलोमीटर सड़कों का नियमित अनुरक्षण किया गया है। वर्तमान में 12,500 नई ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जबकि 1,791 पुलों का कार्य तेजी से पूरा किया जा रहा है।

ग्रामीण सड़कों के इस विस्तृत नेटवर्क से राज्य के किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलने लगा है क्योंकि अब उनके सामान आसानी से बाजार तक पहुंच पा रहे हैं। सड़कों के माध्यम से ग्रामीण उद्योगों को भी शहरों के बाजारों से जोड़ा गया है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा आई है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस सड़क क्रांति का सीधा असर राज्य की आर्थिक प्रगति पर पड़ा है। बीते वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में 700 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है, जो ग्रामीण संपर्कता के विस्तार का परिणाम है। सड़कों के बेहतर जाल ने राज्य में नए उद्योगों की स्थापना, पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी और व्यापार को भी नई दिशा दी है।

बिहार की यह उपलब्धि न केवल बुनियादी ढांचे की मजबूती का उदाहरण है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे सड़कों के माध्यम से सतत विकास और समावेशी प्रगति को साकार किया जा सकता है।