संजय कुमार बिनीत : राजनीतिक विश्लेषक
बिहार चुनाव 2025: जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में
पटना, 23 सितंबर 2025 – बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के लिए, सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार कर लिया है। ऐसा माना जा रहा है कि जनता दल (यूनाइटेड) बड़े भाई की भूमिका में 102 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 101 सीटों के साथ छोटे भाई की भूमिका निभाएगी। गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों को बाकी 40 सीटों पर समायोजित करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन में भी सीट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर जारी है।
एनडीए में सीटों का संभावित बंटवारा
सूत्रों के अनुसार, 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के लिए एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीटों का संभावित बंटवारा इस प्रकार है:
- जदयू: 102 सीटें
- भाजपा: 101 सीटें
- अन्य सहयोगी: 40 सीटें
इन 40 सीटों में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को शामिल किया जाएगा।
चिराग पासवान और अन्य सहयोगी
सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान को 20 से 25 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, लोकसभा चुनाव में पाँच सीटें जीतने के बाद उनका दावा 30 से 40 सीटों का बनता है। सूत्रों के मुताबिक, उन्हें राज्यसभा और विधान परिषद की एक-एक सीट देकर मनाने का प्रयास किया जा रहा है। जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ और उपेंद्र कुशवाहा की ‘आरएलएम’ को 10-10 सीटें मिलने की संभावना है।
2020 विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन
पिछले 2020 के विधानसभा चुनाव में, भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़कर 74 सीटें जीती थीं, जबकि जदयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल 43 सीटें हासिल कर पाई थी। उस चुनाव में मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी को 13 सीटें मिली थीं, जिनमें से उसने 4 जीती थीं, और जीतन राम मांझी की ‘हम’ ने 7 में से 4 सीटें जीती थीं। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने उस समय असदुद्दीन ओवैसी के साथ गठबंधन में 99 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कोई सीट नहीं जीत पाई।
एनडीए की नई रणनीति
इस बार एनडीए महाराष्ट्र चुनाव की तर्ज पर एकजुटता और समन्वय की रणनीति अपना रहा है। गृह मंत्री अमित शाह 27 सितंबर को पटना आ रहे हैं, जहाँ वह गठबंधन के लिए संयुक्त चुनाव अभियान समिति बनाने पर विचार करेंगे। इस समिति का उद्देश्य हर सीट पर उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए समन्वय बढ़ाना और चुनाव अभियान में एकरूपता लाना है।
एनडीए खेमे में मुख्यमंत्री पद को लेकर सहमति बनी हुई है, जो गठबंधन की स्थिरता को दर्शाती है। हालांकि, सीटों के बंटवारे को सार्वजनिक करने में देरी की वजह उम्मीदवारों को दल बदलने से रोकना और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी के महागठबंधन से एनडीए में संभावित वापसी का इंतजार करना भी बताया जा रहा है।
कुल मिलाकर, एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपने-अपने समीकरणों को साधने में लगे हैं, और चुनाव आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा के बाद ही राजनीतिक परिदृश्य और साफ हो पाएगा।।