राष्ट्रीय गोकुल मिशन: दूध उत्पादन और गोवंश उत्पादकता में ऐतिहासिक वृद्धि

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राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, देश में दूध उत्पादन और गोवंश की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में दूध उत्पादन 63.55% बढ़कर 239.30 मिलियन टन तक पहुँच गया है। योजना के तहत कृत्रिम गर्भाधान, IVF, और जीनोमिक चयन जैसे उपायों से उत्पादकता में सुधार हुआ है।

नीरज दयाल, 4 फरवरी 2025 – राष्ट्रीय गोकुल मिशन दूध उत्पादन और गोवंश की उत्पादकता में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा इस योजना और अन्य उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन से देश में दूध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 239.30 मिलियन टन तक पहुँच गया है, जो कि पिछले 10 वर्षों में 63.55% की वृद्धि है। इसी अवधि में गोवंश की उत्पादकता 1640 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष से बढ़कर 2072 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है, जो कि 26.34% की वृद्धि है और यह विश्व में किसी भी देश द्वारा गोवंश की उत्पादकता में की गई सबसे बड़ी वृद्धि है। देश में देसी और सामान्य नस्लों के बैल और गाय की उत्पादकता 2014-15 में 927 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष से बढ़कर 2023-24 में 1292 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है, जो कि 39.37% की वृद्धि है। इसी प्रकार, भैंसों की उत्पादकता 1880 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष से बढ़कर 2161 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है, जो कि 14.94% की वृद्धि है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत दूध उत्पादन और गोवंश की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सफलतापूर्वक कार्यान्वित घटक:

  1. देशव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत, पशुपालन और डेयरी विभाग कृत्रिम गर्भाधान की कवरज बढ़ा रहा है, जिससे दूध उत्पादन और गोवंश की उत्पादकता में वृद्धि हो रही है, जिसमें देसी नस्लें भी शामिल हैं। अब तक 8.32 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है और 12.20 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे 5.19 करोड़ किसानों को लाभ हुआ है।
  2. प्रजनन परीक्षण और वंशावली चयन: इस कार्यक्रम के तहत उच्च जीन गुणसूत्र वाले बैल, जिसमें देसी नस्लों के बैल भी शामिल हैं, तैयार किए जा रहे हैं। अब तक 3,988 उच्च जीन गुणसूत्र वाले बैल तैयार किए गए हैं और इनसे वीर्य उत्पादन किया जा रहा है।
  3. इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक का कार्यान्वयन: देसी नस्लों के श्रेष्ठ पशुओं को प्रचारित करने के लिए विभाग ने 22 IVF प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं। यह तकनीक गोवंश की आनुवांशिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  4. लिंग-चयनित वीर्य उत्पादन: विभाग ने गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में 5 सरकारी वीर्य केंद्रों पर लिंग-चयनित वीर्य उत्पादन सुविधाएं स्थापित की हैं। अब तक 1.15 करोड़ लिंग-चयनित वीर्य डोज़ उत्पादन किया गया है।
  5. जीनोमिक चयन: गाय और भैंसों के आनुवांशिक सुधार को तेज करने के लिए विभाग ने “गौ चिप” और “महिष चिप” जैसे एकीकृत जीनोमिक चिप्स विकसित किए हैं, जो देश में जीनोमिक चयन की शुरुआत में सहायक हैं।
  6. ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (MAITRIs): इस योजना के तहत, 38,736 MAITRIs को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया गया है, ताकि वे किसानों के दरवाजे तक गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएँ प्रदान कर सकें।
  7. त्वरित प्रजनन सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत, 90% तक सटीकता से मादा बछड़े उत्पन्न किए जा रहे हैं, जिससे नस्ल सुधार और किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।

अब तक, 2014-15 से 2024-25 (दिसंबर 2024 तक) तक इस योजना के तहत 4442.87 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी की गई है। यह योजना डेयरी से जुड़े किसानों को दूध उत्पादन और गोवंश की उत्पादकता में वृद्धि के रूप में लाभ पहुँचा रही है।

यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में दी।

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