Anjaan Jee : Editor in Chief & Publisher
राँची, 12 अक्टूबर, 2025 : झारखंड की राजधानी रांची में रविवार को हजारों आदिवासी लोगों ने कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिये जाने की संभावना के विरोध में आक्रोशजनक महारैली निकाली। मोरहाबादी मैदान से शुरू हुई इस रैली में आदिवासी नेता, युवा और महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुए। रैली में मौजूद लोगों ने सरकार को चेताया कि यदि कुड़मी समुदाय को एसटी का दर्जा दिया गया या देने के लिए कोई कदम उठाया गया, तो राज्य में बड़ा आंदोलन होगा।
रैली का समापन रामदयाल मुंडा फुटबॉल मैदान (रांची कॉलेज के पास) में आयोजित जनसभा के साथ हुआ। आदिवासी नेता कुमुदिनी धान ने कहा, “यह प्रदर्शन झारखंड की सभी 32 जनजातियों द्वारा आदिवासी शक्ति का प्रतीक है। अगर कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया, तो झारखंड में बड़ा आंदोलन होगा।” केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने भी चेतावनी दी कि “हम किसी को भी आदिवासियों के अधिकारों को छीनने नहीं देंगे। झारखंड के सभी आदिवासी एकजुट हैं और अपने संवैधानिक अधिकारों, राजनीतिक प्रतिनिधित्व, आरक्षण और भूमि अधिकारों के लिए सतर्क हैं।”
ग्लैडसन डुंगडुंग ने इस आंदोलन को आदिवासी अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय अपनी पहचान और अधिकारों के लिए हमेशा एकजुट रहेगा।
यह आंदोलन कुड़मी समाज के लिए भी जुड़ा हुआ है। 20 सितंबर को कुड़मी समाज के बैनर तले हजारों लोगों ने झारखंड के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर धरना दिया था। उनका उद्देश्य कुड़मी समुदाय को एसटी दर्जा दिलाना और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाना था। इस दौरान 100 से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गई थीं, कई ट्रेनों के रूट बदले गए और समय से पहले रोक दिया गया। उसी दिन आदिवासी समुदाय ने कुड़मी समाज के रेल रोको अभियान का विरोध भी किया था।
इस प्रदर्शन और विरोध से साफ है कि झारखंड में आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों और आरक्षण को लेकर बेहद सजग है और किसी भी संभावित बदलाव पर सक्रिय प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार है।