Anjaan Jee : Editor in Chief & Publisher
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर पेच अभी तक नहीं सुलझ पाया है। शुक्रवार को जब बीजेपी नेताओं ने दावा किया था कि सीटों का फॉर्मूला तय हो चुका है और शनिवार को इसका औपचारिक ऐलान होगा, तो ऐसा लग रहा था कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है। मगर शनिवार की सुबह से ही सहयोगी दलों के बयानों ने बीजेपी और जेडीयू की मुश्किलें बढ़ा दीं, जिससे साफ संकेत मिला कि एनडीए में सब कुछ ‘ऑल इज वेल’ नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, अब सीट बंटवारे की कमान खुद गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संभाल ली है। दोनों नेता दिल्ली में एनडीए के प्रमुख सहयोगियों के साथ लगातार बातचीत में जुटे हैं ताकि कोई बड़ा विवाद न खड़ा हो।
उपेंद्र कुशवाहा, जो राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख हैं, ने शनिवार को पटना में मीडिया से कहा कि एनडीए में बातचीत अभी पूरी नहीं हुई है। उन्होंने स्पष्ट किया, “जो खबरें चल रही हैं कि मेरी पार्टी को सीटें मिल गई हैं, वे पूरी तरह गलत हैं। बातचीत जारी है और आगे की चर्चा दिल्ली में होगी। बीजेपी नेतृत्व जो कहेगा, वही अंतिम फैसला होगा।”
वहीं, लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने भी चुप्पी साध ली है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, चिराग 40 से अधिक सीटों की मांग पर अड़े हैं। उनका तर्क है कि महागठबंधन में मुकेश सहनी को 40 सीटों के साथ डिप्टी सीएम पद की पेशकश की जा रही है, जबकि एनडीए में उनकी पार्टी के पास लोकसभा में 5 सांसद हैं और अब तक उनका स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा है। जब मीडिया ने चिराग से इस पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि “फिलहाल मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है, बैठक के बाद ही कुछ कहा जाएगा।”
इस बीच, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक ट्वीट कर सियासी हलचल तेज कर दी। उन्होंने कविता के अंदाज में लिखा—“हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम…”। इस पोस्ट के बाद राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जाने लगे कि मांझी 15 सीटों की मांग कर रहे हैं। हालांकि बाद में उन्होंने कहा, “नड्डा जी जो कहेंगे, वही अंतिम होगा। हम अनुशासन में रहने वाले लोग हैं।”
इन तीनों नेताओं — उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी — के तेवरों से बीजेपी और जेडीयू के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। जानकारों का कहना है कि अगर बीजेपी और जेडीयू ने इन्हें साथ नहीं रखा, तो एनडीए को नुकसान झेलना पड़ सकता है। भले ही इन दलों की अपनी वोट क्षमता सीमित हो, लेकिन ये उम्मीदवारों को हराने की ताकत जरूर रखते हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे, जिससे जेडीयू के कई प्रत्याशी मामूली अंतर से हार गए थे। इसी वजह से बीजेपी इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
अब उम्मीद की जा रही है कि सीटों के बंटवारे का औपचारिक ऐलान रविवार को होगा। जेपी नड्डा के आवास पर आज शाम अमित शाह, नीतीश कुमार और सहयोगी दलों के प्रमुखों के बीच अंतिम बैठक प्रस्तावित है। सभी की निगाहें इस बैठक पर टिकी हैं, क्योंकि यही तय करेगी कि एनडीए एकजुट होकर मैदान में उतरेगा या भीतर से दरार और गहरी हो जाएगी।