बिहार विधानसभा चुनाव 2025: वादों और विश्वास की अग्निपरीक्षा

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Anjaan Jee : Editor in Chief & Publisher

बिहार में एक बार फिर लोकतंत्र का महापर्व शुरू हो चूका है। निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार नवंबर में नई सरकार का गठन तय होगा। यह चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का अवसर नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और विकास के वादों की अग्निपरीक्षा भी है। इस बार बिहार का मतदाता अधिक सजग और विवेकशील है, जो केवल भाषणों से नहीं बल्कि वास्तविक कार्यों से बदलाव देखना चाहता है।

एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। भाजपा और जेडीयू के बीच तालमेल बनाना इस बार आसान नहीं दिख रहा है, क्योंकि दोनों दल अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों को लेकर सख्त रुख में हैं। सहयोगी दल लोजपा (रामविलास) और हम भी अपनी हिस्सेदारी को लेकर दबाव बना रहे हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन—जिसमें राजद, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं—अपने पारंपरिक जनाधार को फिर से मजबूत करने की कोशिश में जुटा है। तेजस्वी यादव बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर जनता से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

विकास का मुद्दा इस बार भी चुनावी घोषणाओं के केंद्र में है। सड़कों, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ-साथ अब औद्योगिक निवेश और रोजगार को लेकर भी वादे किए जा रहे हैं। मगर जमीनी स्तर पर हालात उतने संतोषजनक नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल बरकरार हैं। पिछले दो दशकों में बिहार ने अवश्य प्रगति की है, लेकिन अभी भी वह विकास की दौड़ में पूरी तरह आगे नहीं बढ़ सका है।

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं, लेकिन अब युवा मतदाता इससे ऊपर उठकर रोजगार और अवसर की बात कर रहा है। सोशल मीडिया के दौर में युवाओं की राजनीतिक समझ बढ़ी है और वे अब केवल वादों पर नहीं, बल्कि उनके क्रियान्वयन पर ध्यान दे रहे हैं। इस बार कई नए राजनीतिक दल और स्वतंत्र उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जो पारंपरिक राजनीति को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं।

आगामी चुनाव में बिहार की जनता के सामने यह अवसर है कि वह अपने भविष्य की दिशा तय करे। लोकतंत्र की सच्ची शक्ति जनता की जागरूकता और भागीदारी में निहित है। यह चुनाव तय करेगा कि विकास केवल भाषणों तक सीमित रहेगा या वास्तव में जनता के जीवन में बदलाव लाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि जनविश्वास और विकास की असली परीक्षा है—और इसका फैसला जनता के हाथों में है। अपना वोट अवश्य दें

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