Anjaan Jee : Editor in Chief & Publisher
पटना, 12 अक्टूबर, 2025 : बिहार की राजनीति में अब विश्वकर्मा समाज ने अपनी अनदेखी के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। राज्य की लगभग 8 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला यह समाज अब आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने की तैयारी में है। समाज ने एनडीए, इंडी अलायंस और अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों को साफ संदेश दिया है कि उनकी अनदेखी अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समाज का कहना है कि लंबे समय से चले आ रहे इसी उपेक्षा भाव ने किसी भी दल को बिहार में पूर्ण बहुमत हासिल करने से रोके रखा है।
विश्वकर्मा भक्त परिवार समूह के संचालक और राष्ट्रीय अध्यक्ष नरसिंह शर्मा ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रमुख दलों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य में 8 प्रतिशत आबादी होने के बावजूद विश्वकर्मा वंशीय समुदायों को टिकट वितरण में लगातार नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। शर्मा ने कहा कि अब समाज ने अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है और यह लड़ाई सम्मान, अस्तित्व और प्रतिनिधित्व की है।
समाज ने चेतावनी दी है कि जो भी राजनीतिक दल उनकी पांच प्रमुख मांगों को पूरा करने का वादा करेंगे, आगामी चुनावों में समर्थन केवल उन्हें ही दिया जाएगा। इन मांगों में सांसद, राज्यसभा सदस्य, विधायक और एमएलसी पदों पर पर्याप्त टिकट, विभिन्न बोर्डों के चेयरमैन और पार्टी संगठन में उचित प्रतिनिधित्व, लोहार जाति को एसटी (अनुसूचित जनजाति) का दर्जा बहाल करना, और भगवान विश्वकर्मा के पांचों पुत्रों के विकास के लिए विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड का गठन शामिल है।
नरसिंह शर्मा ने दो टूक कहा कि यह केवल राजनीतिक प्रतिनिधित्व का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और आत्मसम्मान की लड़ाई है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि बिहार की राजनीति में विश्वकर्मा समाज के 8 फीसदी वोट किसी भी गठबंधन की जीत-हार तय कर सकते हैं। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो समाज वोट बहिष्कार करेगा और अपने स्वजातीय उम्मीदवारों को समर्थन देने की रणनीति अपनाएगा।
बिहार की सियासत में इस घोषणा के बाद राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि विश्वकर्मा समाज की एकजुटता कई निर्वाचन क्षेत्रों में समीकरण बदलने की क्षमता रखती है।