सीट बंटवारे पर महागठबंधन में घमासान, पप्पू यादव बोले— अब राजद में वो बात नहीं रही

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Anjaan Jee : Editor in Chief & Publisher

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा के बाद भी महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन अब तक न तो महागठबंधन और न ही एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर अंतिम फैसला हो पाया है। महागठबंधन में कांग्रेस और वीआईपी अधिक सीटों की मांग पर अड़ी हुई हैं, वहीं एनडीए में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की हिस्सेदारी को लेकर पेच फंसा है।

इसी बीच पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने महागठबंधन के भीतर चल रही खींचतान पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि “पहले जो राजद थी, वह जन आंदोलन की पार्टी थी, अब वह तकनीकी पार्टी बन गई है। अब जब सब कुछ तकनीक में उलझ जाएगा तो देरी होना तय है। हमने पहले भी कहा था कि सभी सहयोगी दलों को सम्मान दीजिए। कांग्रेस के सम्मान को राहुल गांधी के रहते कोई छीन नहीं सकता।”

पप्पू यादव ने राजद को नसीहत देते हुए कहा कि अगर वह महागठबंधन का नेतृत्व करना चाहता है तो उसे बड़ा दिल दिखाना होगा। उनके अनुसार, राजद को 100 से कम सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि बाकी सीटें कांग्रेस, सीपीआई (माले) और वीआईपी के बीच बांट दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और सीमांचल क्षेत्र में उसे अधिक सीटें मिलनी चाहिए क्योंकि उसके बिना महागठबंधन का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा।

पप्पू यादव ने जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर पर तंज कसते हुए कहा, “प्रशांत किशोर ना तीन में हैं, ना तेरह में। वे बस इस इंतजार में हैं कि दूसरे दलों के नेता आएं, ताकि उन्हें टिकट दे सकें।”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार सीट बंटवारे का पूरा समीकरण लालू प्रसाद यादव खुद देख रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को साफ शब्दों में कहा है कि किसी भी हाल में पार्टी को 55 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी। राजद 137 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जबकि वीआईपी को 17, सीपीआई को 28 सीटें मिलने की संभावना है। वहीं, पशुपति पारस और झामुमो को चार-चार सीटें दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।

बिहार की राजनीति में सीटों के इस समीकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि चुनावी गणित में दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही वक्त के साथ बदलती रहती हैं।

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