Anjaan Jee : Editor in Chief & Publisher
बोकारो थर्मल, 12 अक्टूबर, 2025 : सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई पर कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील द्वारा जूता फेंके जाने की दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक घटना के विरोध में रविवार को बोकारो थर्मल में गहरा रोष देखने को मिला। झारखंड राज्य एससी-एसटी अधिकार मोर्चा के बैनर तले स्थानीय झारखंड चौक पर लोगों ने रोषपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया और तत्पश्चात एक नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का नेतृत्व मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजकुमार राम ने किया। इस दौरान मंच के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस कृत्य की तीव्र निंदा करते हुए इसे न्यायपालिtका की गरिमा पर सीधा हमला बताया। वक्ताओं ने कहा कि यह घटना न केवल न्यायिक संस्थान के प्रति असम्मान दर्शाती है, बल्कि एक दलित समुदाय से आने वाले संवैधानिक पदाधिकारी के प्रति भेदभाव का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि यह हर उस नागरिक का अपमान है जो सामाजिक न्याय और समानता की भावना में विश्वास रखता है।
विरोध के दौरान कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां लेकर “न्यायपालिका का सम्मान करो”, “दलित गरिमा पर हमला बर्दाश्त नहीं” जैसे नारे लगाए। सभा में एक हस्तलिखित ज्ञापन भी जारी किया गया, जिसमें सरकार से आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ न्यायिक गरिमा भंग करने के आरोप में कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की मांग की गई। मोर्चा ने चेतावनी दी कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो दलित, आदिवासी और बहुजन समाज एक व्यापक आंदोलन शुरू करेगा।
सभा को गणेश राम, सरजू रजक, गोविंद राम और राम प्रसाद राम जैसे प्रमुख कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता दीपक बौद्ध ने की, जबकि संचालन राजकुमार राम ने किया।
विरोध प्रदर्शन में महेंद्र पासवान, दीपक राम, बबन राम, विजय राम, शिव राम, जगदीश घांसी, संतोष घांसी, इंदरलाल तुरी, रंजीत राम, अनिल पासवान, रामलाल पासवान, रंजीत रजक, अशोक रविदास सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल हुए।
इस घटना को लेकर पूरे क्षेत्र में सामाजिक संगठनों और नागरिक समूहों के बीच गहरा आक्रोश व्याप्त है, और सभी ने एक स्वर में कहा — “न्यायपालिका की गरिमा सर्वोपरि है, उस पर आंच बर्दाश्त नहीं।”